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India Daily

'सॉरी मम्मी, पापा...' लिखकर JEE मेन्स की छात्रा ने की आत्महत्या, वजह कर देगी हैरान

गोरखपुर में एक दुखद घटना घटी, जहां जेईई-मेन की तैयारी कर रही छात्रा ने आत्महत्या कर ली. पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है, जिसमें अदिति ने अपनी भावनाओं का उल्लेख किया है. जांच जारी है.

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Edited By: Ritu Sharma
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Courtesy: xa

Gorakhpur Student Suicide: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में 18 वर्षीय एक छात्रा ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली. यह कदम उसने इस वर्ष की संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मेन 2025 के परिणामों से परेशान होकर उठाया. छात्रा को परीक्षा में कम अंक मिलने के बाद गहरा मानसिक तनाव था. बता एन कि गोरखपुर की एक निजी कोचिंग संस्थान में पढ़ाई कर रही 12वीं कक्षा की छात्रा ने मंगलवार को घोषित हुए जेईई मेन 2025 के परिणामों से खुद को असफल महसूस किया. निराशा और अवसाद से घिरी हुई छात्रा ने बुधवार को अपनी जान ले ली.

सुसाइड नोट में किया माफी का आग्रह

इस घटना के बाद पुलिस को कमरे से एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें छात्रा ने अपने माता-पिता से माफी मांगते हुए लिखा: ''माफ़ करना मम्मी और पापा. कृपया मुझे माफ़ कर दो. मैं नहीं आ सकी. हमारा साथ का सफ़र यहीं खत्म होता है. रोना मत. आप दोनों ने मुझे बहुत प्यार दिया. मैं आपके सपने पूरे नहीं कर सकी.''

आत्महत्या से पहले परिवार से बात की थी छात्रा

छात्रा ने आत्महत्या से कुछ घंटे पहले अपने पिता से बातचीत की थी. इस दौरान उसने अपने परीक्षा परिणाम के बारे में किसी को न बताने की भी बात कही थी. छात्रा के पिता ने उसे आश्वस्त किया था कि वह अगले प्रयास के लिए तैयार रहे और पुनः कोशिश करें. उन्होंने कभी भी यह नहीं सोचा था कि उनकी बेटी इतना बड़ा कदम उठाएगी.

कमरे का दरवाजा तोड़कर मिली छात्रा

बताते चले कि बुधवार को छात्रा अपने कमरे में लंबे समय तक बंद रही. जब छात्रा का कमरा खुला नहीं तो साथी छात्रों ने हॉस्टल वार्डन को सूचना दी. इसके बाद पुलिस की मदद से दरवाजा तोड़ा गया और छात्रा को सफेद दुपट्टे से बने फंदे से लटका पाया गया.

पुलिस ने शुरू की जांच

वहीं पुलिस ने छात्रा की मौत के कारणों की जांच शुरू कर दी है. एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने पुष्टि की है कि पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर कानूनी औपचारिकताएं पूरी की हैं. इस मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है.

हालांकि, यह घटना एक बार फिर से छात्रों के मानसिक दबाव और परीक्षा परिणामों के चलते होने वाली आत्महत्याओं की गंभीर समस्या को उजागर करती है. इसके साथ ही यह भी सवाल खड़ा करती है कि क्या शिक्षा प्रणाली और मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है.