NCR में हर साल काफी संख्या में बच्चे खो जाते हैं या तो चोरी हो जाते हैं. उनका परिवार कुछ समय बाद थक हार कर फिर उम्मीद छोड़ देता है. लेकिन , उन्हें यह उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए, लगातार प्रयास करना चाहिए. ऐसा ही एक मामला गाजियाबाद में देखने को मिला है, जहां एक बच्चा करीब 31 साल बाद अपने परिवार से मिल सका है. गाजियाबाद पुलिस की मुहिम के चलते उस खोए हुए बच्चे की मुलाकात उसके परिवार से हो सकी.
युवक साहिबाबाद थाना क्षेत्र के शहीदनगर का रहने वाला निकला. भीम सिंह के बेटे ओमराम उर्फ राजू का 1993 में स्कूल से वापस आते समय अपहरण हो गया था, साहिबाबाद थाने में मुकदमा भी दर्ज है. उस समय ओमराम 7 साल का था, राजू की फिरौती के लिए परिवार को एक पत्र मिला था . लेकिन उसके बाद अपहर्ताओं ने कोई संपर्क नहीं किया. परिवार राजू के मिलने की उम्मीद छोड़ बैठा था.
जंजीरों में बांध कर रखा और खाने को मिलती सिर्फ एक रोटी
पूछताछ करने पर राजू ने पुलिस को बताया कि कई साल पहले एक गाड़ी वाले मुझे उठा ले गए थे, जो मुझे राजस्थान के जिले जैसलमेर में रेत के टीले व सुनसान सी जगह छोड़ दिया था . वहा से मुझे एक सहीराम नाम के व्यक्ति ने मुझे बंधक बनाकर अपने खेतों पर रखता था तथा अपने पालतू जानवर भेड़ बकरियों का दिन में काम कराता था . तथा रात्रि मे सोते समय मुझे जंजीरो मे बांध देता था और खाने मे सुबह साम एक एक रोटी देता था . कही जाने नही देता था उसके बाद एक दिन दिल्ली से एक ट्रक वाला वहां से भेड़ लेने के लिए गया.
उसने मुझे जंजीरों से बंधा देखा तो उसने मुझ से पूछा कि तुम्हे क्यों बांध के रखा जाता है ,तो मेने उसे बताया कि कई वर्ष पहले मुझे एक गाडी वाला बंधक बनाकर यहां ले आया था जब से मे यही पर रहता हूं. इसके बाद ट्रक वाले ने मुझ से कहा कि वह आज रात्रि में यहा से अपने ट्रक मे भेड़ दिल्ली ले जाउंगा. तूं भी मेरे साथ चलना, तुझे मे दिल्ली छोड दूंगा . वहा से थोडी दूर गाजियाबाद है , वहा से अपने घ चला जाना इसके बाद मे ट्रक वाले के साथ चला आया और फिर ट्रक वालों ने ही उसे दिल्ली में गाजियाबाद जाने वाली ट्रेन में बैठा दिया और उसके हाथ में जो जो चीज उसने बताई थी, एक पर्चे पर लिख करके उसे दे दिया. पूछते पूछते लोग उसे थाने छोड़ गए.
थाने पर लगी भीड़
एसीपी साहिबाबाद रजनीश उपाध्याय ने बताया कि तमाम थाने में राजू के खोड़ा थाने में होने व उसके द्वारा बताई गई बात का प्रचार कराया गया. जिनके बच्चे उस समय खोए थे, ऐसे कई परिवारों की थाने पर भीड़ सी लग गई. फिर शहीद नगर निवासी भीम सिंह के परिवार को भी जब सूचना मिली तो वह लोग भी खोड़ा थाने पहुंचे. राजू को उसकी मां और बहनों ने देखते ही पहचान लिया और दोनों ही गले मिलकर फ़फ़क फ़फ़क कर रोने लगे. अपने परिवार को पा कर राजू के आंसू रुक ही नहीं रहे थे, पूरे परिवार ने गाजियाबाद पुलिस का आभार व्यक्त किया.