Firozabad News: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां 2001 के चोरी मामले में एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर (एसआई) ने ऐसी चूक की कि चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट नगमा खान को ही आरोपी समझ लिया. इस लापरवाही ने न केवल कोर्ट को हैरत में डाला, बल्कि पुलिस अधिकारी की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए.
मामला तब उजागर हुआ जब एसआई ने कोर्ट में रिपोर्ट दी कि "आरोपी नगमा खान" अपने घर पर नहीं मिलीं. इस गलती के बाद एसआई को लाइन हाजिर कर दिया गया और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गई.
क्या है पूरा मामला?
फिरोजाबाद कोर्ट में 2001 के एक चोरी और गलत तरीके से बंधक बनाने के मामले में आरोपी राजकुमार उर्फ पप्पू को पेश करने का आदेश चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट नगमा खान ने जारी किया था. यह आदेश आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 82 के तहत था. आदेश का पालन करने के लिए नियुक्त एसआई बनवारीलाल ने दस्तावेजों को गलत पढ़ा और मजिस्ट्रेट नगमा खान का नाम ही आरोपी के रूप में दर्ज कर उनकी तलाश शुरू कर दी. 23 मार्च को कोर्ट में पेश की गई उनकी रिपोर्ट में कहा गया कि "आरोपी नगमा खान" घर पर नहीं मिलीं.
कोर्ट की कड़ी फटकार
इस लापरवाही पर कोर्ट ने एसआई को जमकर फटकार लगाई. जज नगमा खान ने कहा, "प्रक्रिया पर एक इंच भी ध्यान दिए बिना अधिकारी ने पहले लापरवाही से उद्घोषणा को नॉन बेलेवल वारंट के रूप में माना. इसके बाद पीठासीन अधिकारी (जज) का नाम पूरी तरह से आंख मूंदकर लिख दिया." कोर्ट ने इसे "कर्तव्य की घोर उपेक्षा" करार देते हुए चेतावनी दी कि ऐसी गलतियां मौलिक अधिकारों को नष्ट कर सकती हैं. कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि एसआई को अपने कर्तव्यों की कोई समझ नहीं है, जो उनकी कार्यशैली की गंभीर खामी को दर्शाता है.
मामले का इतिहास
यह मामला 2001 में फिरोजाबाद के एक थाने में दर्ज हुआ था. 2012 में यह कोर्ट पहुंचा और 2013 में पहली सुनवाई हुई. जून 2024 में इसे अतिरिक्त सिविल जज की अदालत में स्थानांतरित किया गया. आरोपी राजकुमार ने कभी पेशी नहीं दी, जिसके बाद कोर्ट ने उसे फरार घोषित कर पेश करने का आदेश दिया.