संभल में बाबा के बुल्डोजर का खौफ! जानें क्यों अपने ही घरों को ढहा रहा मुस्लिम समुदाय

Sambhal: संभल के प्राचीन मंदिर के पास जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण और बिजली चोरी अभियान तेजी से चलाया जा रहा है. प्रशासन की ओर से काफी सख्त से जांच की जा रही है. इसी बीच मंदिर के पास रहने वाले मुस्लिम निवासी अपने घरों को खुद तोड़ना शुरू कर दिए हैं.

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Shanu Sharma

Sambhal: उत्तर प्रदेश के संभल में विवाद घटने का नाम ही नहीं ले रहा है. शाही मस्जिद के सर्वे से शुरू हुए विवाद के दौरान एक 500 साल पुराना मंदिर का मुद्दा सामने आया. इस मामले में प्रशासन ने जांच-पड़ताल के बाद मंदिर को खोलने का फैसला लिया. जांच में पता चला कि इस मंदिर को 46 साल पहले दो समुदायों में विवाद के बाद कर दिया गया था. अब वहां के मुस्लिम निवासियों ने अपने घरों को तोड़ना शुरू कर दिया है, जिसे उन्होंने मंदिर की संपत्ति पर अतिक्रमण करने के बाद बनाया था. 

जिला प्रशासन इस मामले को लेकर काफी सख्त है. पूरे इलाके में सीसीटीवी कैमरा लगाया गा है. वहीं प्रशासन द्वारा व्यापक अतिक्रमण विरोधी अभियान शुरू किया गया है. जिसके तहत उन सभी जगहों को मुक्त कराया जाएगा, जिसपर अतिक्रमण किया गया हो. प्रशासन के इस एक्शन को लेकर वहां के नागरिक काफी सर्तक है. 

इस वजह से घरों को तोड़ रहें लोग 

मीडिया से बात करते हुए संभल के उस इलाके में रहने वाले एक नागरिक ने बताया कि हम खुद अपने घर को इसलिए तोड़ हैं जिससे की हम अपनी कुछ कीमती चीजों को बचा सकें. उनका कहना है कि अगर हम ध्वस्तीकरण का काम प्रशासन पर छोड़ देते हैं, तो हमारे पास शायद कुछ भी न बचेगा. उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन द्वारा संभल के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में छापेमारी की जा रही है. इसी क्रम में मंगलवार को समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर रहमान के घर पर एक स्मार्ट मीटर लगाया गया, जिन्हें हाल ही में उनके नाम पर कथित अवैध निर्माण के लिए नोटिस दिया गया था. जांच के दौरान अब तक दर्जनों घरों में बिजली चोरी पकड़ी गई है. इन सभी घरों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. प्रशासन अतिक्रमण विरोधी और बिजली चोरी विरोधी अभियान चला रही है. कानून और व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए अधिकारियों ने इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया है.

ASI सर्वे से शुरू हुआ विवाद

संभल के जामा मस्जिद के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किए गए सर्वे के दौरान हुई झड़प में पांच लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना में 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. जिसके बाद प्रशासन द्वारा यह अतिक्रमण विरोधी अभियान शुरू किया गया. जिसके बाद 46 साल से बंद शंकर मंदिर के बारे में पता चला. प्रशासन ने बाद में इस मंदिर को खुलवाकर पूजा कराई और उस इलाके में छापेमारी शुरू कर दी. प्रशासन उन सभी अतिक्रमणों का पता लगा रही है, जिससे दंगे के बाद कब्जे में लिया गया था. साथ ही इलाके में हो रही बिजली चोरी को लेकर भी गंभीरता से जांच की जा रही है.  वहीं जामा मस्जिद मामले में एएसआई को मंदिर की आयु निर्धारित करने के लिए कार्बन डेटिंग करने का काम सौंपा गया है.