हमीरपुर में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर कायराना हमला हुआ है. एक पत्रकार, जिसने केवल सच को उजागर करने का प्रयास किया, उसे अपनी निष्पक्ष पत्रकारिता की भारी कीमत चुकानी पड़ी. ग्राम प्रधान द्वारा कराए गए कार्यों में कथित घोटाले की शिकायत जिलाधिकारी से करना एक पत्रकार के लिए इतना महंगा साबित होगा, यह किसी ने सोचा भी नहीं था. प्राप्त जानकारी के अनुसार, ग्राम प्रधान ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर पत्रकार का अपहरण कर लिया. उसे बुरी तरह लाठी-डंडों से पीटा गया, अमानवीय यातनाएं दी गईं और यहां तक कि उसे अपमानित करने के लिए क्रूर हरकतें भी की गईं. इसके बाद, दबंगों ने खुद ही पीड़ित को पुलिस के हवाले कर दिया.
ग्राम प्रधान और उसके साथियों पर आरोप है कि उन्होंने पत्रकार को पंचायत भवन बुलाकर पहले बंधक बनाया, फिर बेल्ट और डंडों से बुरी तरह पीटा. पुलिस ने मामले में ग्राम प्रधान समेत 18-20 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, जबकि चार आरोपियों को हिरासत में लिया गया है. इस मामले की जांच के लिए जिलाधिकारी द्वारा एक टीम गठित की गई थी. जांच टीम के नोडल अधिकारी हिमांशु अग्रवाल के बुलावे पर रविंद्र बुधवार दोपहर करीब 3:30 बजे उमरी गांव पहुंचे. शाम 4:30 बजे नोडल अधिकारी के कहने पर वे पंचायत भवन गए, लेकिन वहां पहले से मौजूद ग्राम प्रधान, उनके दो भाई और करीब 18-20 अन्य लोगों ने उन्हें घेर लिया.
रविंद्र कुमार का आरोप है कि पंचायत भवन में पहले तो उन्हें बेल्ट और डंडों से पीटा गया, फिर उन्हें पास की एक गोशाला में ले जाकर घंटों तक यातनाएं दी गईं. उनका मोबाइल और लैपटॉप भी छीन लिया गया. देर शाम बड़ी मुश्किल से उन्हें छोड़ा गया. घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस हरकत में आई और पीड़ित की तहरीर पर ग्राम प्रधान समेत 18-20 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. चार आरोपियों को हिरासत में भी लिया गया है. पुलिस का कहना है कि मामले की गहन जांच की जा रही है और अन्य आरोपियों की तलाश जारी है.