उत्तर प्रदेश के संभल जिले में बिजली विभाग के अधिकारियों ने दावा किया है कि उन्होंने स्थानीय सांसद जिया उर रहमान बर्क के निवास पर लगाए गए दो बिजली मीटरों की जांच के दौरान बिजली चोरी के सबूत पाए हैं. इस मामले में, सांसद बर्क पर 1.91 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है और उनके घर की बिजली आपूर्ति भी काट दी गई है.
20 दिसंबर को लगाए गए जुर्माने के बाद का घटनाक्रम
मीटरों की जांच में सामने आई असामान्यताएं
सुप्रीत सिंह, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर (टेस्टिंग), ने बताया कि मीटरों की जांच सांसद के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में की गई थी. सिंह ने कहा, 'एक मीटर को सांसद के नाम पर पंजीकृत किया गया था. इसकी फिजिकल स्थिति और सील सही थे, लेकिन MRI (मीटर रीडिंग इंस्ट्रूमेंट) रिपोर्ट में मई 30, 2024 से 13 दिसंबर, 2024 तक का डेटा दिखाया गया, जिसमें कोई भी वोल्टेज, लोड या खपत नहीं पाई गई. यह लगभग छह महीने का समय था.' सुप्रीत सिंह ने यह भी कहा कि 'इससे यह साबित होता है कि बिजली चोरी के उद्देश्य से खपत के बावजूद बिजली को बाइपास किया गया था.'
दूसरे मीटर में भी पाया गया जीरो खपत
दूसरे मीटर की जांच भी की गई जो सांसद के दादा के नाम पर पंजीकृत था. इस मीटर की फिजिकल स्थिति और सील भी सही थीं, लेकिन इसका MRI रिपोर्ट पिछले 16 महीनों के दौरान शून्य खपत और शून्य लोड को दर्शाता था. सिंह के अनुसार, "यह बिजली चोरी की पुष्टि करता है. MRI आमतौर पर एक साल का डेटा प्रदान करता है, और इस असामान्यता को रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से देखा गया."
सांसद के प्रतिनिधियों का बयान
मामले में सांसद बर्क के प्रतिनिधि फीरासत उल्लाह और वकील कासिम जमाल ने बिजली विभाग का दौरा किया और जांच प्रक्रिया में भाग लिया. हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें अब तक कोई भी अंतिम रिपोर्ट नहीं मिली है. उल्लाह ने कहा, "हम निरीक्षण में भाग लेने आए थे, लेकिन हमें अभी तक अंतिम रिपोर्ट नहीं मिली है."
बिजली विभाग का बयान
बिजली विभाग के अधिकारियों ने सांसद के प्रतिनिधियों के दावों का विरोध किया और कहा कि जबकि मीटरों की शारीरिक स्थिति सामान्य थी, लेकिन MRI रिपोर्ट में शून्य खपत दिखने से बिजली चोरी का संकेत मिलता है. विभाग ने यह भी कहा कि अंतिम रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
नवंबर 24 की हिंसा में भी शामिल
सांसद जिया उर रहमान बर्क का नाम नवंबर 24 को संभल में हुई हिंसा के मामले में भी सामने आया है. इस हिंसा में चार स्थानीय लोग मारे गए थे जब सुरक्षा बलों के साथ एक विवाद में संघर्ष हुआ था. यह संघर्ष उस समय हुआ था जब कोर्ट के आदेश पर मुघलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए टीम पहुंची थी.