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'उम्र कैद, 5 लाख तक जुर्माना...' योगी सरकार के नए धर्मांतरण कानून में और क्या-क्या जिस पर मचा गया बवाल

विधेयक के मुताबिक, धर्म परिवर्तन के लिए विदेश से फंड लेना और किसी भी अवैध संस्था से फंड लेना अपराध के दायरे में आएगा और इसमें भी सजा को बढ़ा दिया गया है. योगी सरकार के इस संशोधित विधेयक पर घमासान मचा हुआ है. सरकार का तर्क है कि धर्मांतरण के मामले में कड़ी सजा और जुर्माने की जरूरत थी जो कि इसमें किया गया है.

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Edited By: India Daily Live
yogi adityanath
Courtesy: social media

UP News: यूपी विधानसभा में आज धर्मांतरण संशोधन विधेयक पास हो गया. इस विधेयक का नाम उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम 2024 है. इस विधेयक में धर्मांतरण को लेकर सजा का प्रावधान बढ़ा दिया गया है.विधेयक में तथ्यों को छुपाकर या डरा-धमकाकर धर्म परिवरर्तन कराने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिसमें उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है.

विधेयक के मुताबिक, धर्म परिवर्तन के लिए विदेश से फंड लेना और किसी भी अवैध संस्था से फंड लेना अपराध के दायरे में आएगा और इसमें भी सजा को बढ़ा दिया गया है. योगी सरकार के इस संशोधित विधेयक पर घमासान मचा हुआ है.

क्या है सरकार का तर्क

इस नए धर्मांतरण संशोधन विधेयक को लेकर सरकार का तर्क है कि महिलाओं और एससी-एसटी समुदाय के लोगों का अवैध धर्मांतरण रोकने और महिलाओं की गरिमा को ध्यान में रखते हुए यह विधेयक लागा गया है. सरकार का तर्क है कि धर्मांतरण के मामले में कड़ी सजा और जुर्माने की जरूरत थी जो कि इसमें किया गया है. इस बिल के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के बाद जानबूझकर किसी नाबालिग लड़की से शादी करता है या महिला की तस्करी करता है तो यह गंभीर अपराध माना जाएगा.

20 साल तक की सजा का प्रावधान
अगर कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के इरादे से शादी करता है या नाबालिग लड़की या महिला की तस्करी करता है तो इसमें 20 साल तक की सजा का प्रावधान है.  बिल में एक और गौर करने वाली बात ये है कि धर्म परिवर्तन की शिकायत अब कोई भी व्यक्ति कर सकता है. पुराने कानून में केवल पीड़िता या उसका भाई या उसके माता-पिता ही शिकायत दर्ज करा सकते थे.

गैर जमानती अपराध
इस तरह की शिकायत होने पर यह एक गैर जमानती अपराध होगा और इसकी सुनवाई सेशन कोर्ट  से नीचे की अदालत नहीं कर सकती है. वहीं बिना अभियोजन को सुने जमानत पर फैसला नहीं दिया जा सकता है.

बिल को लेकर क्यों हो रहा बवाल
इस बिल के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने मोर्चा खोल दिया है. विपक्ष का कहना है कि इससे झूठी शिकायतों की बाढ़ आ जाएगी. कांग्रेस का कहना है कि राज्य सरकार एक कमीशन गठित करे जो यह जांच करे कि शिकायत सही है या नहीं.

समाजवादी पार्टी का कहना कि मान लो अलग-अलग धर्म के दो लोग अपनी मर्जी से शादी कर ली और इस शादी पर दोनों के मां-बाप सहमत है लेकिन फिर भी कोई तीसरा व्यक्ति इस पर शिकायत कर सकता है, यह सीधे तौर पर संवैधानिक अधिकारों का हनन है.

क्या था पुराना कानून
धर्मांतरण के पुराने कानून के मुताबिक, धर्मांतरण की शिकायत सिर्फ पीड़ित, उसका भाई और मां-बाप कर सकते थे. साथ ही इसमें 1-10 साल तक की सजा का प्रावधान है. पुराने कानून में धोखे से या जबरन धर्म परिवर्तन करने पर 1 से 5 साल की सजा का प्रावधान था. वहीं पुराने कानून के मुताबिक धर्म परिवर्तन से 2 महीने पहले मजिस्ट्रेट को सूचना देनी होती थी.