CJI डीवाई चंद्रचूड़ और CM योगी ने प्रयागराज में किया डॉ. राजेन्द्र प्रसाद नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का उद्घाटन

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इलाहाबाद हाईकोर्ट के अन्य न्यायधीशों के साथ इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन ऑडिटोरियम में डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया.

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प्रयागराजः सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और उत्तर प्रदेश सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कई न्यायधीशों के साथ इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन ऑडिटोरियम में डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया. कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और सीएम योगी दीप प्रज्ज्वलित के साथ किया. इस दौरान डॉ. राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा का अनावरण, माल्यार्पण और पुस्तक का विमोचन किया गया.

इस मौके पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ ने सभी को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (डॉ. राजेंद्र प्रसाद नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी) का शुभारंभ करना मेरे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है. इलाहाबाद में आप सबने मुझे अपनाया है. उन्होंने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति होने के साथ साथ संविधान सभा के अध्यक्ष भी थे. वे एक सम्मानित वकील भी थे. उन्होंने कहा कि एक वकील के रूप में प्रयागराज से उनका नजदीकी संबंध रहा है. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने पीएचडी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से की. भारत के संविधान बनने की प्रक्रिया में अपना मार्गदर्शन व योगदान देकर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने स्वतंत्र एवं आधुनिक भारत की नींव रखी. संविधान सभा में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का मौका दिया, जिससे भारत की संसदीय परंपरा की शुरूआत हुई. यही कारण था कि जब भारत के प्रथम राष्ट्रपति चुनने का मौका आया, तब डॉ. राजेंद्र प्रसाद को ही इस पद के लिए योग्य माना गया था. 

 

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस विश्वविद्यालय का नाम डॉ. राजेंद्र प्रसाद से जोड़कर हमने न सिर्फ उनकी विरासत को सम्मान दिया है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को डॉ. राजेंद्र प्रसाद के विचार से प्रेरित करने का काम भी किया है. इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैं विश्वविद्यालय की स्थापना से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं. खासतौर पर उत्तर प्रदेश शासन, मुख्यमंत्री योगी, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और सभी न्यायाधीशों को बधाई देता हूं. उन्होंने कहा कि यह एक सुखद संयोग है कि मैंने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर करीब पौने तीन वर्ष बिताए हैं. अपने कार्यकाल के दौरान मैंने न सिर्फ हाईकोर्ट के सम्मानित न्यायधीशों के साथ कई अहम मुद्दो पर काम किया, बल्कि प्रयागराज के गौरवशाली इतिहास के विषय में भी जाना. उन्होंने कहा कि मैं इस हाईकोर्ट में अपने कार्य के दौरान प्रयागराज ही नहीं, बल्कि प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को जाना. मेरा मानना है कि उत्तर प्रदेश भारत का दिल है. अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे अपने कार्यकाल में कई जनपदों में जाने का मौका मिला. मैंने जिला न्यायपालिकाओं से जुड़ी समस्याओं को समझने की कोशिश की. इलाहाबाद सदियों से ज्ञान व विचारों का केंद्र रहा है. उन्होंने कहा कि इसे पूर्व का ऑक्सफोर्ड कहा जाता है. 

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख केंद्र के रूप में भी प्रयागराज उन अग्रणी शहरों में रहा, जिन्होंने आजादी के आंदोलन को हौसला दिया. महात्मागांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, आचार्य कृपलानी ने इस शहर को अपनी रणनीति का केंद्र बनाया था. शहर का अल्फ्रेड पार्क शहीद चन्द्रशेखर की आजादी की शौर्य गाथा का जीवंत उदाहरण है. साहित्य, कला, तहजीब, संस्कृति और कानूनी परंपरा को समेटे इस शहर में डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना से न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होगी, बल्कि शहर को भी एक नया आयाम मिलेगा. सीजेआई ने लीगल प्रोफेशन और लीगल एजूकेशन के अंर्तसंबंधों को विस्तार से बताया. 

 

उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां हम नए विषयों जैसे कि स्पेस लॉ, टेक्नोलॉजी लॉ आदि पर बात करते है, दूसरी ओर इस बात पर जोर देने की जरूरत है कि इन सब विषयों पर बातचीत एनूलूज तक ही सीमित न रह जाए. हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि कानूनी शिक्षा में यह जो बदलाव आ रहे है, उनका असर हर विश्वविद्यालय और कालेज में हो. बॉर कौंसिल से संबंधित देश के अन्य कालेज, ग्रामीण भारत के लॉ यूनिवर्सिटी और कालेजों में हमें शिक्षा के नवाचार से जुड़े प्रयासों को बल देना होगा. आज टेक्नोलॉजी के तहत भाषिनी साफ्टवेयर से हमनें 1950 से 2024 तक सर्वोच्च न्यायालय के करीब 36000 निर्णयों को अनुवादित किया है. उन्होंने कहा कि आज हमनें 36000 निर्णयों का जो अनुवाद किया है, इसका उद्देश्य है कि जो लोग अंग्रेजी भाषा नहीं जानते है और जिला न्यायालय में प्रैक्टिस करते है.  

सीजेआई ने कहा कि आज जब हम नए विधि विश्वविद्यालय के शुरू होने के मौके पर जुटे हैं तो हमें यह सोचने की जरूरत है कि हम विधिक शिक्षा को किस ओर ले जाना चाहते हैं. एक विश्वविद्यालय को समावेशी एवं दूरदर्शी होने के साथ-साथ भविष्य की आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना चाहिए. शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में समय के साथ बदलाव, भाषियों के समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व देना, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजारे छात्रों को संस्थानिक उपायों के जरिए मुख्यधारा में शामिल करना, उनकी क्षमता में वृद्धि व अवसरों की समानता सुनिश्चित करना एक विश्वविद्यालय का उद्देश्य होना चाहिए.

 

सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी इस दौरान अपना संबोधन दिया. उन्होंने कहा कि प्रयागराज गंगा, यमुना, सरस्वती की इस त्रिवेणी का संगम है, लेकिन इसके साथ ही धर्म, ज्ञान और न्याय की त्रिवेणी भी है. उन्होंने कहा कि आठ साल बाद प्रयागराज में एक नई उपलब्धि की कड़ी जोड़ने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ के प्रयागराज आगमन पर मैं राज्य सरकार व उत्तर प्रदेश की ओर से उनका स्वागत करता हूं. सीएम ने कहा कि सीजेआई का इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल न्यायिक इतिहास में उत्तर प्रदेश वासियों के लिए अविस्मर्णीय बना हुआ है. मुख्य न्यायाधीश ने उस समय न्यायिक क्षेत्र में जो नजीर पेश कीं, वो आज भी न केवल न्यायिक क्षेत्र से जुड़े लोगो के लिए बल्कि एक सामान्य व्यक्ति के मन में भी नया विश्वास पैदा करती हैं. उन्होंने कहा कि स्वाभाविक रूप से जब इस धर्म, ध्यान और न्याय की इस त्रिवेणी के जिस महासंगम में एक नई कड़ी जोड़नी थी, उस कड़ी का शुभारंभ ऐसे कर-कमलों से हो, मैं इसके लिए इस नवगठित विश्वविद्यालय के विजीटर जस्टिस मनोज मिश्रा को, विश्वविद्यालय के चांसलर व इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरूण भंसाली, जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और यहां के सभी न्यायमूर्तियों को ह्रदय से धन्यवाद देता हूं कि आज उन्होंने इस विश्वविद्यालय के शुभारंभ के लिए मुख्य न्यायाधीश को आमंत्रित किया है. 

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अवसर हमारे लिए महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि भारत गणतंत्र अपने अमृत महोत्सव वर्ष में प्रवेश कर गया है. उन्होंने कहा कि 26 जनवरी, 1950 को भारत ने अपना संविधान लागू किया था. 74 वर्षों में भारत के संविधान ने भारत को उत्तर से दक्षिण व पूरब से पश्चिम एकता के सूत्र में बांधने की एवं दुनिया को लोकतांत्रित तरीके से आगे बढा़ने के लिए एक नई प्रेरणा दी है. जब भारत गणतंत्र अपने अमृत महोत्सव वर्ष में प्रवेश कर रहा हो, उन स्मृतियों को स्मर्णीय बनाने के लिए एक नई शुरुआत न्याय की इस धरती में शुरू होने जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आप जब संविधान की डिबेट को देखते हो, तब भारत की प्रस्तावना को लेकर बहुत लंबी चर्चा हुई थी, उस समय बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि हमारी चुनौती संविधान के विस्तार और अंत को लेकर नहीं है. उन्होंने कहा कि हम इसी को ले करके परेशान होते हैं कि समारोह कैसा हो, समारोह अच्छा होगा, उसके परिणाम भी अच्छे आएंगे, बशर्ते हमने शुरुआत अच्छी की है. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह शुरुआत अच्छी हुई है. वह भी भारत के संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम है, जो भारत गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति बने थे. ऐसे महान विभूति के नाम पर बनने वाले ऐसे विश्वविद्यालय का शुभारंभ आज भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ के कर-कमलों से प्रारंभ किया जा रहा है और एक नए सत्र की शुरुआत होने जा रही है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे खुशी है कि जिन छात्रों का इस विश्वविद्यालय में प्रवेश होने जा रहा है, उनके अभिभावक भी इस समारोह के भागीदार बन रहे हैं. ये पल उनके लिए बड़ा ही स्मर्णीय होगा, क्योंकि उनके बच्चे जिस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं, उसका शुभारंभ मुख्य न्यायाधीश कर रहे हैं. यह उन सभी बच्चों के लिए स्वाभाविक रूप से प्रेरणाप्रद होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश व हमारे लिए उपलब्धि है कि हम प्रदेश को राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय देने की ओर अग्रसर हुए हैं. उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश देश की बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन व नेतृत्व में विगत वर्षों में उत्तर प्रदेश के अंदर सुशासन को स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है. उन्होंने कहा कि सुशासन की पहली शर्त है रूल ऑफ लॉ बिना बार व बेंच के सहयोग से नहीं हो सकता है, कभी भी नहीं हो सकता है.

 

मुख्यमंत्री ने इसके लिए उत्तर प्रदेश की बार व बेंच को इसके लिए हृदय से धन्यवाद देते हुए उनका आभार भी व्यक्त किया. उत्तर प्रदेश में सुशासन को स्थापित करने के उनका सकारात्मक सहयोग प्रदेश को हमेशा प्राप्त हुआ है. मुख्यमंत्री ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद विश्वविद्यालय के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आश्वस्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरतेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्य व्यक्ति का विश्वास न्यायिक क्षेत्र से बना है. हमें उस विश्वास को बनाए रखने में अपना योगदान देना है. लोकतंत्र में जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए हमें भारत के लोकतंत्र के स्तम्भों को और मजबूती प्रदान करनी होगी, जितना अच्छा हो सकता है. उतना सकारात्मक सहयोग हमें प्रदान करना चाहिए. 

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश आज यहां पर कई वर्षों बाद आए हैं. यहां के लिए राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का शुभारंभ करके जा रहे है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश की यह यात्रा यहां के लिए और आने वाली कई पीढ़ियों, युगों के लिए विस्मर्णीय होने जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पीढ़ियां इस दिन को देखकर भावुक होंगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि संसद में जो तीन नए कानून बने हैं, युवा अधिवक्ताओं के प्रशिक्षण के लिए यहां विशेष कार्यक्रम प्रारंभ हो, इसके लिए राज्य सरकार सभी सहयोग प्रदान करेगी. मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय में प्रदेश भर से युवा अधिवक्ताओं को बुलाने के लिए कहा है, क्योंकि प्रदेश सरकार ने अधिवक्ताओं के लिए बहुत कुछ करने का प्रयास किया है. मुख्यमंत्री ने बार पदाधिकारियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि प्रशिक्षण के साथ ही उनकी अन्य सुविधाओं के लिए सरकार उनका सपोर्ट करेंगी. मुख्यमंत्री ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद विधि विश्वविद्यालय के शुभारंभ के अवसर सभी को हृदय से बधाई व शुभकामनाएं देते हुए अपनी बात समाप्त की.

कार्यक्रम को न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ती अरुण भंसाली, एडवोकेट जनरल अजय कुमार मिश्रा, बॉर कौंसिल ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने भी कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डॉ. ऊषा टंडन ने सभी मुख्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारे लिए बड़े ही सौभाग्य की बात है कि अवसर पर हमें मा. मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय डीवाई चन्द्रचूड़, सीएम योगी आदित्यनाथ और अन्य न्यायाधीशों का सानिध्य हमें प्राप्त हुआ है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने विशेष व्यक्तित्व व दृढ़निश्चय के साथ उत्तर प्रदेश को नई ऊंचाइयों की ओर ले जाने के लिए अद्वितीय प्रयास किए है.