भारत की संप्रभुता, एकता को खतरे में डालने की कोशिश, बुरे फंसे ये सह-संस्थापक
आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ गाजियाबाद पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR में अब भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 152 को भी जोड़ दी गई है. यह धारा भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को अपराध मानती है. वहीं यूपी पुलिस ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को बताया कि मोहम्मद जुबैर के खिलाफ किन-किन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है.
यूपी से एक हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है. यहां आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ गाजियाबाद पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR में अब भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 152 को भी जोड़ दी गई है. यह धारा भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को अपराध मानती है. वहीं यूपी पुलिस ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को बताया कि मोहम्मद जुबैर के खिलाफ किन-किन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. दरअसल यह एफआईआर यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी की शिकायत पर दर्ज की गई थी.
वहीं इस मामले में उदिता त्यागी का दावा है कि जुबैर ने 3 अक्टूबर को नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की वीडियो क्लिप पोस्ट की थी. उनकी आरोप है कि जुबैर का इरादा मुसलमानों को नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा के लिए भड़काया था. मोहम्मद जुबैर ने इस FIR को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
क्या है पूरा मामला?
25 नवंबर को मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जांच अधिकारी (IO) को अगली सुनवाई तक एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. इस हलफनामे में उन्हें यह साफ-साफ बताना था कि मोहम्मद जुबैर के खिलाफ किन-किन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. कोर्ट में जवाब देते हुए जांच अधिकारियों ने बताया कि एफआईआर में दो नई धाराएं जोड़ी गई हैं. पहली धारा 152 भारतीय दंड संहिता (BNS) की है और दूसरी धारा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 है.
भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने की कोशिश
गौरतलब है कि मोहम्मद जुबैर के खिलाफ शुरुआत में भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. इन धाराओं में धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), धारा 228 (झूठे सबूत जुटाना), धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), धारा 356(3) (मानहानि) और धारा 351(2) (आपराधिक धमकी के लिए सजा) शामिल हैं.
मोहम्मद जुबैर ने किया हाई कोर्ट का रुख
अब इस मामले में मोहम्मद जुबैर ने एफआईआर रद्द करने और कठोर कार्रवाई से सुरक्षा की मांग करते हुए हाई कोर्ट का रुख किया है. अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि उनके एक्स पोस्ट में यति नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया गया था. उन्होंने केवल पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद की हरकतों के बारे में सतर्क किया था और कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की थी. उनका कहना है कि इसे दो वर्गों के लोगों के बीच वैमनस्य या दुर्भावना को बढ़ावा देना नहीं माना जा सकता है.
'कार्रवाई की मांग मानहानि नहीं है.'
जुबैर ने आगे यह भी कहा कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध वीडियो साझा करके कार्रवाई की मांग मानहानि नहीं है. इस याचिका में यह भी बताया गया है कि नरसिंहानंद पहले से ही एक नफरत भरे भाषण के मामले में जमानत पर थे. उनकी जमानत की शर्त थी कि वे ऐसा कोई बयान नहीं देंगे जो सांप्रदायिक सौहार्द को खराब करें.
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