संभल के मुस्लिम बहुल इलाके में मिली मूर्तियों की होगी कॉर्बन डेटिंग, दंगों के बाद पलायन को मजबूर हुए थे हिंदू परिवार

संभल में हुई हिंसा के बाद इलाके से बड़े-बड़े खुलासे हो रहे हैं. इलाके में जबरन बिजली चोरी की जा रही है. जांच के दौरान एक मंदिर का भी खुलासा हुआ, जिसको लेकर प्रशासन शख्त है.

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Kamal Kumar Mishra

Sambhal Mandir: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मिली 46 साल पुराने मंदिर की कार्बन डेटिंग कराई जाने की योजना है, ताकि यह पता चल सके कि मंदिर में रखी भगवान की मूर्ति कितनी पुरानी है. स्थानीय प्रशासन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र भेजकर इस मंदिर, शिवलिंग और वहां मिले कुएं की कार्बन डेटिंग कराने का अनुरोध किया है. इस जांच के जरिए प्रशासन यह जानना चाहता है कि मंदिर और उसकी मूर्तियों का ऐतिहासिक महत्व कितना पुराना है.

यह मंदिर 1978 से बंद पड़ा हुआ था, पुलिस और प्रशासन की टीम बिजली चोरी को रोकने के दौरान इस मंदिर का पता लगाया था. इसके बाद, 15 दिसंबर को मंदिर में विधि-विधान से पूजा-पाठ कराया गया. जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया के अनुसार, यह मंदिर कार्तिक महादेव का है और यहां एक कुआं भी मिला है, जिसे 'अमृत कूप' कहा जा रहा है. मंदिर के बाहर सुरक्षा के लिए 24 घंटे टीम तैनात की गई है और सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. इसके साथ ही, यहां के अतिक्रमण को हटाने का काम भी किया जा रहा है.

सरकार संभाल रही मंदिर की सुरक्षा

मंदिर के पुजारी महंत आचार्य विनोद शुक्ला ने बताया कि श्रद्धालुओं ने मंदिर में आकर पूजा-अर्चना शुरू कर दी है. स्थानीय निवासी मोहित रस्तोगी ने मंदिर के फिर से खुलने पर खुशी जाहिर की और कहा कि उन्होंने अपने दादाजी से इस मंदिर के बारे में सुना था. यह मंदिर संभल के खग्गू सराय इलाके में स्थित है, जो जामा मस्जिद से केवल एक किलोमीटर की दूरी पर है. जामा मस्जिद के पास 24 नवंबर को मस्जिद के सर्वे के आदेश के बाद हिंसा भी हुई थी.

1978 दंगों के बाद बंद हुई मंदिर

यह मंदिर 1978 के सांप्रदायिक दंगों के बाद बंद हो गया था, जब हिंदू समुदाय के लोग इलाके से पलायन करने लगे थे. नगर हिंदू महासभा के संरक्षक विष्णु शंकर रस्तोगी ने बताया कि 1978 के दंगों के बाद इस मंदिर को बंद कर दिया गया था और यहां से हिंदू समुदाय के लोग चले गए थे. मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति, शिवलिंग और नंदी स्थापित हैं. 

इलाका छोड़कर चले गए थे हिंदू परिवार

मंदिर के पास ही एक कुआं भी मिला है, जिसे पहले ढक दिया गया था. CO अनुज चौधरी ने कहा कि यह मंदिर 1978 में हुए दंगों से पहले भी यहां था. जब दंगे हुए, तब मंदिर की स्थिति भी प्रभावित हुई थी और हिंदू परिवार इस इलाके से पलायन कर गए थे. मंदिर के पुनः खुलने के बाद वहां सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है.