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India Daily

'मुख्यमंत्री आवास के नीचे भी शिवलिंग', अखिलेश यादव के बयान पर बीजेपी ने किया पलटवार

अखिलेश यादव ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लखनऊ स्थित आवास के नीचे 'शिवलिंग' होने का दावा किया था, उनका यह बयान संभल में एक प्राचीन बावड़ी की खुदाई को लेकर उठे विवाद के बीच आया. अखिलेश यादव के इस बयान पर अब बीजेपी ने पलटवार किया है. 

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Edited By: Kamal Kumar Mishra
Akhilesh Yadav
Courtesy: x

Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में कहा था कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने और जनता से जुड़े असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए लगातार खुदाई करवा रही है. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मुख्यमंत्री के आवास के नीचे भी खुदाई होनी चाहिए, क्योंकि वहां भी 'शिवलिंग' हो सकता है. इसपर अब बीजेपी नेता ने पलटवार किया है.

अखिलेश यादव का यह बयान संभल में मुगलकालीन मस्जिद के पास हो रही खुदाई और इससे जुड़े विवादों के संदर्भ में था. पिछले महीने इस मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें चार लोग मारे गए थे. यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार निर्दोष लोगों के घरों को अवैध रूप से बुलडोजर से ध्वस्त कर रही है. उन्होंने इसे विकास नहीं, बल्कि विनाश बताया और यह भी कहा कि मुख्यमंत्री के हाथों में विकास नहीं, बल्कि विनाश की रेखा है.

अखिलेश ने 1000 टन सोने के लिए कराई थी खुदाई

भाजपा ने अब अखिलेश यादव के इस बयान पर प्रतिक्रिया दी है. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने सवाल उठाया कि यादव को संभल में हो रही खुदाई पर समस्या क्यों है, जबकि उन्होंने 2013 में 1,000 टन सोने की खुदाई के लिए पूरी सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया था. त्रिपाठी ने यह भी कहा कि यादव शिवलिंग के बारे में बात कर रहे हैं, ताकि वे वोट बैंक हासिल कर सकें. भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने समाजवादी पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि वह शिवलिंग का मजाक उड़ा रहे हैं.

'मृत्यु कूप' की हो रही खुदाई

संभल जिले में कोट पूर्वी स्थित एक प्राचीन 'मृत्यु कूप' की खुदाई और जीर्णोद्धार का काम शुरू किया गया है. यह स्थल एक ऐतिहासिक और पवित्र स्थान माना जाता है, जहां भक्तों का विश्वास है कि स्नान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह कुआं मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के पास स्थित है, जिसके सर्वेक्षण के कारण हिंसा भड़की थी. अदालत द्वारा आदेशित सर्वेक्षण में दावा किया गया था कि पहले यहां हरिहर मंदिर था. इस हिंसा के कारण जिले में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं.