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IAS अफसर की गाड़ी से पुलिस ने उतरवाई नीली बत्ती, हंगामे के बाद समझिए लाल और नीली बत्ती के नियम

Know Car Red Blue Lights Rules: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में पुलिस ने एक लेडी IAS अफसर की कार पर लगी नीली बत्ती को उतार दिया. इसके बाद खूब हंगामा हुआ. पूरे मामले का वीडियो भी सामने आया, जो सोशल मीडिया पर वायरल है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, IAS अफसर की गाड़ी से नीली बत्ती उतारने वाले पुलिसकर्मियों की क्लास लगाई गई है.

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Edited By: India Daily Live
 know red blue lights rules
Courtesy: Social Media

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें पुलिसकर्मी एक IAS अफसर की गाड़ी पर लगी नीली बत्ती को उतारते दिख रहे हैं. मामले का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल है. कहा जा रहा है कि नीली बत्ती को उतारने वाले पुलिसकर्मियों की क्लास भी लगाई गई है. आइए, जानते हैं कि किसी गाड़ी पर लाल और नीली बत्ती लगाने के क्या नियम और कानून हैं. इससे पहले जान लेते हैं कि आखिर सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो कहां का है और पूरा मामला क्या है.

दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले का बताया जा रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक लेडी IAS अफसर की गाड़ी के ऊपर नीली बत्ती लगी हुई थी. सड़क पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने जब गाड़ी पर लगी नीली बत्ती को देखा, तो उन्होंने पहले गाड़ी रूकवाई और फिर नीली बत्ती को कार से उतार दिया. मामले का वीडियो किसी ने बनाया और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया. अब ये वीडियो बाराबंकी के डीएम के पास भी पहुंचा. इसके बाद उन्होंने पूरे मामले को लेकर नाराजगी जताई और पुलिसकर्मियों की क्लास लगा दी. 

बताया जा रहा है कि लेडी अफसर दिव्या सिंह बुधवार की रात नीली बत्ती लगी गाड़ी से घर लौट रहीं थीं. इसी दौरान उनकी गाड़ी पटेल तिराहे पर पहुंची. यहां पहले से मौजूद पुलिसकर्मियों ने दिव्या सिंह की गाड़ी को रुकवाया और पूछताछ के बाद उनकी गाड़ी से नीली बत्ती को उतार दिया. जब इस मामले की जानकारी बाराबंकी के डीएम सत्येंद्र कुमार को हुई. उन्होंने इस बारे में एसपी दिनेश कुमार से नाराजगी जताई. फिर एसपी ने नीली बत्ती उतारने वाले सब इंस्पेक्टर विशुन कुमार शर्मा और सब इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह को तत्काल लाइन हाजिर कर दिया.

दिव्या सिंह ने दिया परिचय, फिर भी नहीं माने पुलिसकर्मी

जानकारी के मुताबिक, सब इंस्पेक्टर विशुन कुमार शर्मा नगर कोतवाली, मनोज कुमार सिंह आवास विकास कॉलोनी के चौकी में तैनात हैं. वहीं, IAS दिव्या सिंह, बाराबंकी में ज्वाइंट मैजिस्ट्रेट हैं. दोनों सब इंस्पेक्टर की ओऱ से कार्रवाई के दौरान दिव्या सिंह ने अपना परिचय दिया, लेकिन विशुन कुमार शर्मा और मनोज कुमार सिंह ने उनकी बिलकुल भी नहीं सुनी. दोनों ने गाड़ी पर लगी नीली बत्ती को उतरवा दिया. आइए अबजानते हैं कि आखिर किसी गाड़ी पर लाल और नीली बत्ती लगाने के क्या नियम और कानून हैं?

सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स 1989 के नियम 108 की धारा (III) के मुताबिक, लाल, नीली और पीली बत्तियों का अलग-अलग मतलब होता है और इन्हें अलग-अलग व्यक्ति अपनी गाड़ियों के ऊपर लगा सकते हैं. गाइडलाइन के मुताबिक, इन्हें ड्यूटी के दौरान ही जलाया जा सकता है और अगर अधिकारी ड्यूटी के दौरान नहीं हैं, तो इन्हें ढक दिया जाता है. देश में अलग-अलग लोगों को पदों के हिसाब से लाल, नीली और पीली बत्तियां दी जाती हैं. 

किनकी गाड़ियों पर फ्लैश के साथ लाल बत्ती

इस लिस्ट में देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पूर्व उपराष्ट्रपति, उपप्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, लोकसभा के अध्यक्ष, केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री, लोक और राज्य सभा में प्रतिपक्ष के नेता, सुप्रीम कोर्ट के जज, राज्यों के गवर्नर और मुख्यमंत्री, दूसरे देशों के राजदूत और कॉमनवेल्थ देशों के हाई कमिश्नर आते हैं, जो अपनी गाड़ी पर फ्लैश वाले लाल बत्ती का यूज कर सकते हैं. 

किनकी गाड़ियों पर बिना फ्लैश वाली लाल बत्ती

इस लिस्ट में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त, कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया, राज्यसभा के उपसभापति, लोकसभा के डिप्टी स्पीकर, केंद्र सरकार के राज्यमंत्री, नीति आयोग के सदस्य, अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति व जनजाति आयोग के अध्यक्ष, अटॉर्नी जनरल, कैबिनेट सचिव, तीनों सेनाओं के चीफ, सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव के प्रेसिडेंट, UPSC के प्रेसिडेंट, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, सॉलिसिटर जनरल, राज्यों के उपमुख्यमंत्री, दूसरे देशों के राजदूत और मंत्री शामिल हैं.

इसके अलावा, अलग-अलग राज्य सरकारों के निर्देश होते हैं, जिनके आधार पर बत्तियों का आवंटन होता है. ये केंद्र शासित प्रदेश और राज्यों के अनुसार परिवर्तित होते हैं. 

राज्यों में फ्लैश के साथ लाल बत्ती

इस लिस्ट में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, विधानसभा के स्पीकर, हाई कोर्ट से जस्टिस, कैबिनेट मंत्री, आयोग के प्रेसिडेंट शामिल होते हैं. 

राज्यों में बिना फ्लैश के साथ लाल बत्ती

इस लिस्ट में विधानसभा के डिप्टी स्पीकर, विपक्ष के नेता, एडवोकेट जनरल, मुख्य सचिव, सलाहकार बोर्ड और मानव अधिकार के प्रेसिडेंट, लोक सेवा कमीशन के प्रेसिडेंट, चुनाव आयुक्त, सरकारी यूनिवर्सिटी के VC, पुलिस महानिदेशक और विधायक या एमएलसी शामिल हैं.

किनकी गाड़ियों पर पीली बत्ती

इस लिस्ट में इनकम टैक्स कमिश्नर, रेवेन्यू कमिश्नर, एसपी आदि शामिल हैं. इनके अलावा, केंद्रीय और राज्य स्तर पर पदाधिकारी भी पीली बत्ती का यूज करते हैं.

फ्लैश के साथ नीली बत्ती का यूज कौन कर सकता है?

सरकार के प्रमुख सचिव, हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, पुलिस कमिश्नर, डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट के जज, डिविजनल  कमिश्नर, आईजी या ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस, डीआईजी या एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस, एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज, चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट और अन्य ज्यूडिशियल अफसर. इनके अलावा, डीएम या कलेक्टर, एसएसपी, एसपी और डीसीपी भी फ्लैश के साथ नीली बत्ती का यूज कर सकते हैं. इनके अलावा, फ्लैश वाली नीली बत्ती का यूज सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, डीएसपी, एसीपी भी कर सकते हैं.

ऊपर की लिस्ट के अलावा, एंबुलेंस के लिए रंगीन बत्ती के साथ-साथ सायरन का यूज किया जा सकता है. इसी तरह, फायर ब्रिगेड की गाड़ियों पर भी बत्तियों का यूज किया जाता है. 

ये नियम सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक था, लेकिन अप्रैल 2017 में केंद्र की मोदी सरकार ने कदम उठाते हुए देश में से लाल और नीली बत्ती का कल्चर ही खत्म कर दिया. एक मई 2017 से देश में किसी गाड़ी पर लाल और नीली बत्ती का कल्चर खत्म कर दिया गया. मोदी सरकार के नियम के मुताबिक, सिर्फ एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और इमरजेंसी सेवाओं में तैनात गाड़ियां ही नीली बत्ती का यूज कर सकती हैं. फैसले को लागू करने के लिए सेंट्रल मोटर वाहन एक्ट 1989 में बदलाव किया गया. इस एक्ट का नियम 108(1) (3) कहता है कि केंद्र और राज्य सरकारें ये तय कर सकती हैं कि किन गाड़ियों पर लाल और नीली बत्ती लग सकती है.

मोदी सरकार के फैसले से पहले दिसंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी कर कहा था कि लाल और नीली बत्ती के दुरुपयोग को रोकने के लिए बड़े कदम उठाए जाने चाहिए. इसके करीब दो साल बाद यानी 2015 में एक अन्य फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने लाल और नीली बत्ती के यूज वाली लिस्ट को छोटा कर दिया था.