अबू धाबी की अलबदावा जेल में बंद उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की निवासी शहजादी की फांसी की सजा का समय तय हो चुका है. अगले 24 घंटों में अबू धाबी कोर्ट से फांसी की सजा पाने वाली शहजादी को फांसी दी जाएगी. मौत से पहले अपनी आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए, अबू धाबी जेल प्रशासन ने शहजादी को फोन पर अपने परिजनों से बात करने का मौका दिया.
जानकारी के अनुसार, शहजादी को 2021 में बांदा जिले के मटौंध थाना क्षेत्र के गांव गोयरा मुगली से अबू धाबी भेजा गया था. उसे अबू धाबी भेजने में आगरा के उजैर नामक व्यक्ति का हाथ था, जिसने शहजादी को लग्जरी लाइफ और चेहरे के इलाज का लालच देकर उसे आगरा के एक दंपति के हवाले कर दिया. इस दंपति के बेटे की देखरेख शहजादी करती थी, और एक दिन उस बच्चे की मौत हो गई.
इस मामले में शहजादी के पिता, शब्बीर खान, ने सरकार और प्रशासन से बेटी को बचाने की अपील की थी. शहजादी के मुताबिक, जब वह छोटी थी, तो एक हादसे में आग से झुलसने के कारण वह मानसिक रूप से परेशान रहती थी. 2020 में उसकी मुलाकात उजैर से सोशल मीडिया के जरिए हुई थी, और वह उसके साथ आगरा आया. उजैर ने उसे चेहरे के इलाज का बहाना बना कर अबू धाबी भेज दिया, जहां उसने उसे अपने रिश्तेदार दंपति के पास रख दिया. कुछ समय बाद, दंपति के चार माह के बच्चे की मौत हो गई, जिसके बाद शहजादी को ही बच्चे की मौत का जिम्मेदार ठहराया गया.
पिता ने लगाई जान बचाने की गुहार
शहजादी और उसके पिता का कहना था कि बच्चे की मौत गलत इलाज के कारण हुई, लेकिन दंपति ने इसे हत्या मानते हुए शहजादी पर आरोप मढ़ दिया. इसके बाद अबू धाबी की कोर्ट ने शहजादी को मौत की सजा सुनाई. इस दौरान, शहजादी ने जेल से अपने परिवार से आखिरी बार बात करते हुए यह बताया कि उसे अलग कमरे में रखा गया है और जेल के कैप्टन ने उसे अगले 24 घंटे में फांसी दिए जाने की सूचना दी. इस बातचीत के बाद से शहजादी के परिवार और गांव में भारी शोक की लहर दौड़ गई है. शहजादी के माता-पिता का कहना है कि उन्होंने शासन और राष्ट्रपति तक से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी.
मनीष मिश्रा की रिपोर्ट