Bahraich Wolf Terror: बहराइच जिले के महसी में दहशत का माहौल है और जनजीवन ठप्प हो गया है. बच्चों ने बाहर निकलना बंद कर दिया है और स्कूल खाली पड़े हैं. किसान अब आवारा पशुओं और पक्षियों से अपनी खड़ी फसलों की रक्षा करने के लिए खेतों में नहीं जाते. बाजार ज्यादातर बंद रहते हैं. ग्रामीण कुछ घरों में चलने वाली छोटी-मोटी दुकानों से किराने का सामान खरीदते हैं. कुल मिलाकर महसी में 'अघोषित लॉकडाउन' जैसा माहौल है. भेड़ियों ने अब तक इस इलाके में 8 बच्चों समेत 9 लोगों पर हमला कर उन्हें मार डाला है, जबकि 24 अन्य घायल हुए हैं.
थलिया गांव की रोली सिंह, जिन्होंने कुछ दिन पहले अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया था, कहती हैं कि अगर मेरे बच्चे सुरक्षित रहेंगे, तो उन्हें भविष्य में पढ़ाई का मौका मिलेगा. गांव के लोगों ने समूहों में बंटकर बारी-बारी से इलाकों में गश्त करते दिख रहे हैं और अपने बच्चों और पशुओं की सुरक्षा कर रहे हैं.
कहा जा रहा है कि भेड़िये के किसी भी ताजा हमले की खबर तुरंत गश्ती दलों को दी जाती है, जो वन अधिकारियों को सचेत करते हैं और इलाके को सुरक्षित करने के लिए अपने प्रयासों को तेज कर देते हैं. सिसैया के एक किसान हजारी आर्य ने कहा कि रात में जागने के तनाव के कारण उनकी तबीयत खराब हो गई है. लेकिन हमारे लिए सोना कोई विकल्प नहीं है. ये जीवन और मृत्यु का मामला है. भेड़ियों के हमले का ताजा मामला बुधवार को सामने आया, जब देर रात हरदी के पचदेवरी गांव में एक भेड़िये ने एक घर के आंगन में बंधी कुछ बकरियों पर हमला कर दिया.
इस संकट से निपटने के लिए, भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून से चार सदस्यीय टीम भेड़ियों के हमलों के पैटर्न का अध्ययन करने, उन्हें पकड़ने की रणनीति विकसित करने और मानव-पशु संघर्ष को कम करने के लिए मार्गदर्शन देने के लिए मंगलवार रात बहराइच पहुंची. इस बीच, प्रशासन ने सामुदायिक चिंताओं को दूर करने और सुरक्षा में सुधार करने के लिए कई उपाय शुरू किए हैं.
गुरुवार को बहराइच की जिला मजिस्ट्रेट मोनिका रानी ने कहा कि रात के दौरान गांवों में गश्त करने के लिए एक समर्पित टीम तैनात की गई है. उन्होंने कहा कि इस टीम में पंचायत सहायक, सचिव, राजस्व अधिकारी, सफाई कर्मचारी, साथ ही आंगनवाड़ी और एएनएम कार्यकर्ता शामिल हैं, जो निवासियों के बीच जागरूकता बढ़ाने की गतिविधियों में लगे हुए हैं.
डीएम ने कहा कि ब्लॉक प्रशासन ने सोलर लाइट लगाने की पहल की है. अब तक विभिन्न विभागों की सहायता से लगभग 120 सोलर लाइट और दरवाजे लगाए जा चुके हैं. रानी ने कहा कि हमने प्राइमरी स्कूलों में भी ज़रूरतमंदों के लिए अस्थायी आश्रय की व्यवस्था की है. अगर किसी व्यक्ति को परेशानी होती है या उसे रात भर रहने की ज़रूरत होती है, तो वे प्राइमरी स्कूलों में दी जाने वाली सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं. ये उपाय सामुदायिक समर्थन बढ़ाने और निवासियों को ज़रूरी सेवाएं प्रदान करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है.
वन विभाग ने छह कैमरे और ड्रोन तैनात किए हैं और प्रांतीय सशस्त्र बल (PAC) के 150 कर्मी इलाके में गश्त कर रहे हैं. इसके अलावा, राजस्व विभाग की 32 टीमें और वन विभाग की 25 टीमें ग्राउंड पर एक्टिव रूप से काम कर रही हैं. अधिकारी निवासियों को घर के अंदर रहने, अपने बच्चों को अंदर रखने और रात में अपने दरवाज़े बंद रखने की सलाह देने के लिए लाउडस्पीकर का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.