लखनऊ को आखिर क्यों कहा जाता है नवाबों का शहर? नहीं जानते होंगे आप इसके पीछे की असली कहानी
हम सब जानते हैं कि लखनऊ को तहजीब का शहर कहा जाता है, लेकिन आज आप जानेंगे कि लखनऊ का नाम कैसे पड़ा और यह कैसे फेमस हुआ?
लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी, एक ऐतिहासिक शहर है जिसे 'नवाबों का शहर' कहा जाता है. इसके पीछे एक दिलचस्प और रोचक कहानी है. लखनऊ की समृद्धि, सांस्कृतिक धरोहर और शाही ठाठ-बाट के कारण इसे नवाबों का शहर कहा जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की असली कहानी.
लखनऊ का इतिहास मुगलों के शासनकाल से जुड़ा हुआ है. मुगलों के बाद, जब अवध (आज का उत्तर प्रदेश) के क्षेत्र में अवध राज्य की स्थापना हुई, तो यहां के शाही परिवारों ने लखनऊ को अपनी राजधानी बना लिया. 18वीं सदी में, अवध के नवाबों ने इस शहर में अपनी सत्ता और समृद्धि को स्थापित किया. इन नवाबों ने लखनऊ को एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया. नवाबों के समय, लखनऊ शाही संस्कृति, ठाठ-बाट और शानो-शौकत के लिए प्रसिद्ध था. इन नवाबों ने यहां के कला, साहित्य, संगीत, खानपान और फैशन को बढ़ावा दिया. लखनऊ का माहौल उस समय एक राजसी और रॉयल बना हुआ था, जिसके कारण इसे 'नवाबों का शहर' कहा जाने लगा.
नवाबों की शाही संस्कृति
नवाबों के शासनकाल में लखनऊ में कई भव्य महल और इमारतें बनाई गईं. इनमें से कुछ प्रमुख इमारतें आज भी लखनऊ की पहचान हैं, जैसे बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा और लक्ष्मण ताला. इन महलों और इमारतों में नवाबों का शाही ठाठ और आर्किटेक्चर की खूबसूरती झलकती है.
नवाबों के समय में लखनऊ में कला, साहित्य और संगीत का भी बहुत महत्व था. लखनऊ का कत्थक नृत्य, गजल और ठुमरी जैसी शास्त्रीय संगीत विधाओं में नवाबों ने गहरी रुचि दिखाई. इसके साथ ही लखनऊ के अदबी माहौल (साहित्यिक वातावरण) में उर्दू और फारसी के मशहूर कवि और लेखक उत्पन्न हुए. इस समय की उर्दू शायरी और साहित्य आज भी प्रसिद्ध है.
नवाबों के खानपान का प्रभाव
नवाबों का खानपान भी लखनऊ की पहचान में शामिल है. लखनऊ की बिरयानी, तहरी, कबाब, शीरमल, और हलवा जैसी शाही व्यंजन आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं. नवाबों के समय में खाने-पीने का बहुत ख्याल रखा जाता था और इन व्यंजनों का स्वाद और तरीका आज भी लखनऊ के होटल और ढाबों में मिलता है.
नवाबों ने लखनऊ में न केवल शाही वास्तुकला और संस्कृति को बढ़ावा दिया, बल्कि उन्होंने शहर की शिक्षा और धर्म का भी विकास किया. नवाबों ने मस्जिदें, स्कूल और धार्मिक स्थल बनाए. इसके अलावा, उन्होंने किसानों और गरीबों के लिए कई योजनाएं बनाई और उनके कल्याण के लिए काम किया.
1857 की क्रांति में लखनऊ की स्थिती
1857 की क्रांति में लखनऊ का विशेष स्थान था. इस क्रांति में लखनऊ के नवाब, नवाब वाजिद अली शाह ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया. हालांकि, बाद में अंग्रेजों ने लखनऊ पर कब्जा कर लिया, लेकिन इस संघर्ष ने लखनऊ की ऐतिहासिक पहचान को और मजबूत किया. आज भी लखनऊ के लोग 1857 के संघर्ष को याद करते हैं और इसे अपनी शौर्यगाथा मानते हैं.
लखनऊ को 'नवाबों का शहर' इसीलिए कहा जाता है क्योंकि यहां के नवाबों ने इस शहर को एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और शाही रूप दिया. उनकी शाही ठाठ-बाट, कला, साहित्य, खानपान और संघर्ष की गाथाएं आज भी लखनऊ के दिल में जीवित हैं. यही कारण है कि लखनऊ की पहचान नवाबों के शहर के रूप में बनी हुई है और यह शहर अपनी ऐतिहासिक धरोहर और संस्कृति के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है.