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India Daily

ममता कुलकर्णी के साथ किन्नर अखाड़े की पहली महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर गिरी गाज, क्यों छोड़नी पड़ी गद्दी?

ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने के फैसले ने समाज के अलग अलग पहलुओं पर गहरे सवाल उठाए हैं. वहीं, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के समाज के लिए योगदान को नकारा नहीं जा सकता, जो लगातार ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए संघर्ष करती रही हैं.

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Edited By: Babli Rautela
Lakshmi Narayan Tripathi
Courtesy: Social Media

Lakshmi Narayan Tripathi: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ 2025 में किन्नर अखाड़ा एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार वजह कोई और नहीं बल्कि बॉलीवुड की जानी मानी एक्ट्रेस रह चुकी ममता कुलकर्णी है. ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी, जिससे एक बड़ा विवाद शुरू हो गया है. इस फैसले से किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का नाम भी चर्चा में आया. इस विवाद ने किन्नर अखाड़े और समाज के अधिकारों को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं.

फिल्मी दुनिया छोड़कर आध्यात्मिक जीवन अपनाने वाली ममता कुलकर्णी का पट्टाभिषेक किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने किया था. लेकिन ममता के महामंडलेश्वर बनने के साथ ही विवाद की स्थिति बन गई, क्योंकि उनका नाम बॉलीवुड और कई विवादों से जुड़ा हुआ है. कई धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्तियों ने इस फैसले पर सवाल उठाया, और ममता के महामंडलेश्वर बनने को लेकर विवादों का सिलसिला शुरू हो गया.

ऋषि अजय दास का आदेश: लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को निष्कासित किया

ऋषि अजय दास, जो कि किन्नर अखाड़े के फाउंडर हैं, ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर का पद देने के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया. उन्होंने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर पद से निष्कासित करने का आदेश दिया. ऋषि अजय ने कहा कि यह कदम असंवैधानिक और सनातन धर्म के खिलाफ है, क्योंकि ममता कुलकर्णी पर विवादित मामले रहे हैं और उन्हें बिना मुंडन के महामंडलेश्वर का पद दे दिया गया था, जो उन्होंने समाज के लिए छलावा करार दिया.

कौन हैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी?

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, जो किन्नर अखाड़े की पहली महामंडलेश्वर बनीं, एक सामाजिक कार्यकर्ता और ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने वाली शख्सियत हैं. उनका जन्म 13 दिसंबर 1980 को महाराष्ट्र के ठाणे में हुआ था. उन्होंने मुंबई के मीठीबाई कॉलेज से स्नातक किया और भरतनाट्यम में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की. 2002 में उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन शुरू किया. उनकी तमाम कोशिशो के कारण ही सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडरों को 'तीसरे लिंग' के रूप में मान्यता दी. 2015 में उन्हें किन्नर अखाड़े की पहली महामंडलेश्वर के रूप में पदवी दी गई.

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए कई पहल की हैं और उन्होंने आर्टिकल 377 के खिलाफ भी आवाज उठाई. वह LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों के लिए भी सक्रिय रूप से काम करती रही हैं. उन्होंने 'मी हिजड़ा, मी लक्ष्मी' नामक किताब लिखी, जो काफी चर्चा में रही.

ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने पर सवाल

ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने के बाद कई सवाल उठने लगे. संत समाज और किन्नर अखाड़े के भीतर भी इस निर्णय को लेकर विरोध व्यक्त किया गया. ममता का फिल्मी बैकग्राउंड और विवादों से जुड़ा इतिहास, इस फैसले के पीछे की वास्तविकता पर सवाल खड़ा करता है. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने 2008 में संयुक्त राष्ट्र में एशिया प्रशांत को रिप्रेजेंट करने वाली पहली ट्रांसजेंडर व्यक्ति बनने का गौरव प्राप्त किया था, जो उनकी प्रतिष्ठा और उनके द्वारा किए गए कार्यों का प्रमाण है.