साढ़े दस साल पहले हुए एक भयावह हत्याकांड के मामले में शनिवार को महत्वपूर्ण निर्णय सामने आया. एडीजे द्वितीय पारुल अत्री की अदालत ने दोषी सेवानिवृत्त फौजी को फांसी की सजा सुनाई. इस मामले में आरोपी पर 1 लाख 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया, जिसमें से 80 प्रतिशत राशि उस बेटी को दी जाएगी, जो घटना के समय गोली लगने से घायल हो गई थी.
रिटायर्ड फौजी मनोज कुमार सिंह की कहानी
गृह क्लेश बना हत्या का कारण
मनोज की शादी सीमा से 15 साल पहले हुई थी, और वह सेना से रिटायर होने के बाद मेरठ में प्राइवेट नौकरी करता था. मनोज के परिवार में अक्सर झगड़े होते थे, जिसके चलते उसने कई बार पत्नी और बच्चों के साथ मारपीट भी की थी. 12 जुलाई को दोपहर ढाई बजे मनोज ने अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर और राइफल से अपने परिवार के तीन लोगों को गोली मारी. सीमा और मानवेंद्र की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि शशिबाला को भी गोली मार दी गई, जिससे उसकी भी हत्या हो गई. घटना के बाद मनोज मौके से फरार हो गया, लेकिन पुलिस ने उसे हथियारों सहित पकड़ लिया.
पुलिस की गिरफ्तारी
आरोपी ने गिरफ्तारी के बाद अपने अपराध का खुलासा किया. पुलिस ने उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया और अदालत में साक्ष्य और गवाहों के आधार पर मामला प्रस्तुत किया. मौन से गवाही: घटनास्थल के गवाहों के बयान और विशेषज्ञ साक्ष्य ने इस मामले को आरोपी के खिलाफ निर्णायक बना दिया.
अदालत का निर्णय और सजा
अदालत ने शनिवार को मनोज कुमार सिंह को "विरलतम अपराध" के तहत दोषी करार दिया और उसे फांसी की सजा सुनाई. निर्णय का महत्व: अदालत ने आरोपी की वीभत्स हरकतों को देखते हुए इस मामले को विशेष माना और उसे मृत्युदंड की सजा दी. साथ ही 1 लाख 25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया, जिसमें से अधिकांश राशि घटना की घायल लड़की को दी जाएगी.
आरोपी के व्यक्तिगत संघर्ष और शिकायतें
आरोपी की पत्नी और अन्य पारिवारिक सदस्य कई बार मनोज के व्यवहार और मारपीट की शिकायत कर चुके थे, लेकिन इसके बावजूद वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. छोटी-छोटी बातों पर मनोज का गुस्सा बढ़ जाता था, जिसका नतीजा यह खौ़फनाक घटना बनी.