Agra Manav Sharma Suicide Case: मानव शर्मा. ये नाम इस समय चर्चा में बना हुआ है. कहानी अतुल सुभाष जैसी. कुछ लोग इस केस को अतुल सुभाष 2 भी कह रहे हैं. खुद को मौत के फंदे पर लटकाने से पहले लाइव आकर वीडियो में मानव ने कहा- "मेरी वाइफ किसी और के साथ सोती थी. कोई मर्दों के बारे में तो सोचे. मर्द बहुत अकेले होते हैं." जाते-जाते मानव ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
मानव की शादी 390 दिन ही हुए थे. और इतने ही दिन में पति-पत्नी के बीच इतनी गहरी खाई हो गई कि पत्नी आकांक्षा को निकता को उसके घर छोड़ आता है और फिर खुद फांसी के फंदे को चूम लेता है. मानव फांसी के फंदे को चूमने वाले पहले या आखिरी पुरुष नहीं हैं. उनसे पहले भी मर्द ऐसा करते हैं. रिपोर्ट की मानें तो हर साल 1 लाख से अधिक पुरुष हर साल आत्महत्या करते हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर पुरुष आत्महत्या क्यों कर रह हैं. आइए इसके पीछे की कहानी को जानने की कोशिश करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के वकील महेश कुमार तिवारी ने 2023 में एक याचिका दायर राष्ट्रीय पुरुष आयोग के गठन की मांग की थी, जिसके तहत घरेलू हिंसा के शिकार हुए विवाहित पुरुषों के आत्महत्या के मामलों को देखा जाए. इस याचिका में उन्होंने राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो यानी NCRB के आंकड़ों को हवाले देते हुए बताया कि साल 2021 में भारत में 1 लाख 64 हजार से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की. इनमें विवाहित पुरुषों की संख्या 81 हजार थी, जबकि विवाहित महिलाओं की 28 हजार. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2021 में 33.3 फीसदी पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं के चलते अपने जीवन का समाप्त किया जबकि 4.8 फीसदी पुरुषों ने अपने वैवाहिक जीवन से परेशान होकर खुद की जान ली.
आंकड़ों की बात करें तो NCRB की रिपोर्ट कहती है कि साल 2015 से लेकर 2022 तक 8 लाख 9 हजार पुरुषों ने आत्महत्या की. यानी इसके अनुसार हर साल एक लाख से अधिक पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं. वही्ं, हर साल 43,314 महिलाएं आत्महत्या कर रही है. महिलाओं की संख्या की संख्या पुरुषों की तुलना में आधी है.
NCRB की रिपोर्ट की मानें तो 2022 में 3.28 फीसदी मर्दों ने यानी लगभग 5,576 मर्दों ने शादी में हुई अनबन की वजह से खुद की जान ली. वहीं, करीब 21.7 फीसदी पुरुषों ने (लगभग 37,587) ने पारिवारिक समस्याओं की वजह से आत्महत्या की. राष्ट्रीय अपराध ब्यूरों पारिवारिक समस्याओं को डिफाइन नहीं करता. लड़ाई-झगड़े, मानसिक उत्पीड़न, शारीरिक उत्पीड़न जैसी चीजों को इसमें शामिल किया जा सकता है.
एनसीआरीबी की रिपोर्ट यह भी कहती है कि साल 2022 में 1 लाख 70 हजार आत्महत्या करने वाले पुरुषों में 58.2 फीसदी ने फांसी लगाकर खुद की जान दी. वहीं, 25.4 फीसदी ने जहर खाकर खुद को खत्म किया.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि वैवाहिक जीवन में आत्महत्या करने वाले पुरुष सिर्फ दहेज की वजह से अपनी जान नहीं देते. इसमें और भी कई तरह की समस्याएं होती हैं. जैसी पत्नी की सास-ससुर से न बनना, पति का पत्नी को ज्यादा वक्त न दे पाना या फिर और भी जो समस्याएं हैं. इसके तहत आने वालों केस को दहेज प्रथा के तहत दर्ज किया जाता है क्योंकि इसके लिए कानून में अलग से कोई प्रावधान नहीं है.
दहेज प्रथा मामले पर सुनवाई करते हुए 10 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कभी-कभी महिलाएं IPC की धारा 498ए का गलत इस्तेमाल करती हैं. पति और उसके परिवार वालों से मांग पूरी कराने के लिए उनके खिलाफ दहेज प्रथा के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है.
आईपीएस की धारा 498ए अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 और 86 हो गई है.
वहीं, कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि महिलाएं 498 ए का दुरुपयोग करके लीगल टेरर यानी कानूनी आतंक मचा रही हैं.
अब आखिरी में सवाल यह उठता है कि मानव शर्मा के पास सुसाइड करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था? मानव शर्म के पास एक रास्ता था कि वह अपनी पत्नी निकिता को तलाक दे देते. लेकिन उन्होंने आत्महत्या का रास्ता चुना इसलिए हम यह अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि उनकी मानसिक स्थिति कैसी रही होगी. यह सबकुछ व्यक्ति के मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है.