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India Daily

44 साल पहले पंडित की हत्या फिर मलबा डालकर दबा दिया गया मंदिर, अब पोते ने की जांच की अपील; गर्भगृह से निकला शिवलिंग

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में अब एक नए मंदिर का पता चला है. जिसे 44 साल पहले दंगे के दौरान मलबे से दबा दिया गया था. अब एक बार फिर से प्रशासन की मदद से मंदिर को दोबारा खोला जा रहा है.

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Edited By: Shanu Sharma
Moradabad Gauri Shankar Temple
Courtesy: Social Media

Moradabad Gauri Shankar Temple: उत्तर प्रदेश में संभल और बुलंदशहर के बाद अब मुरादाबाद में खुदाई के दौरान भगवान शिव के बंद मंदिर का पता चला है. मिल रही जानकारी के मुताबिक मुरादाबाद में गौरी शंकर मंदिर 44 साल से बंद था. जब नगर निगम की टीम ने खुदाई की तो गर्भगृह में शिवलिंग और खंडित मूर्तियां मिली है. आसपास के लोगों का कहना है कि यह मंदिर 1980 में हुए दंगों के बाद बंद कर दिया गया था.  

स्थानिय लोगों का कहना है कि 1980 के दंगों के दौरान मंदिर के पुजारी की हत्या कर दी दी गई थी. इसके मंदिर के दोनों दरवाजे मलबा डालकर चिनाई करके बंद कर दिए गए थे. तब से लेकर आज तक मंदिर का दरवाजा नहीं खुल पाया. जिसके बाद अब पंडित के पोते ने डीएम को आवेदन देकर मंदिर को फिर से खोलने की गुहार लगाई. जिसके बाद प्रशासन की ओर से जांच शुरु किया गया. 

खुदाई के दौरान मिले कई सबूत 

नगर निगम की टीम और पुलिस बल ने मिलकर सुरक्षा के बीच तीन दिन पहले स्थल का निरीक्षण किया था. जिसके बाद सोमवार को खुदाई और सफाई कार्य शुरू किया गया. जिसके दौरान गर्भगृह से शिवलिंग, हनुमानजी, नंदी, गणेश, और कार्तिकेय की खंडित मूर्तियां बरामद की गईं. जांच में पता चला कि मंदिर की दीवारें और गेट ईंटों से बंद किए गए थे. जिसके बाद एक्शन लेते हुए नगर निगम की टीम ने गर्भगृह को पूरी तरह खाली करा लिया है. इस दौरान शिवलिंग सही सलामत पाया गया, जबकि अन्य मूर्तियां खंडित स्थिति में मिलीं.  

अब आगे क्या?

जांच के पहले चरण में मंदिर की पूरी साफ-सफाई की जा रही है. इसके बाद मूर्तियों की स्थापना और रंग-रौगन का कार्य किया जाएगा. प्रशासन मंदिर को इसके मूल रूप में लाने की कोशिश में जुटी है. मंदिर की पूरी प्रक्रिया पुलिस और नगर निगम की देखरेख में हो रही है. मंदिर को पूजा-अर्चना योग्य बनाने के बाद इसे भक्तों के लिए खोला जाएगा. लोगों का और पुजारी के पोते का मानना है कि मंदिर के पुनरुद्धार से स्थानीय समुदाय में धार्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ेगी. यह घटना पुरानी धार्मिक धरोहरों को संरक्षित करने और प्रशासनिक सक्रियता का एक अच्छा उदाहरण है.