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India Daily

70 साल के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 131 दिन बाद खत्म किया अनशन, किसान आंदोलन को किया बड़ा ऐलान

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का यह संघर्ष दर्शाता है कि किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए उन्हें न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सामूहिक रूप से संघर्ष करना होगा. उन्होंने उपवास तोड़ने के बावजूद ये साफ किया कि किसान आंदोलन जारी रहेगा और किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए वे हर संभव कदम उठाएंगे.

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Edited By: Mayank Tiwari
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल
Courtesy: Social Media

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने रविवार (6 अप्रैल) को फतेहगढ़ साहिब में आयोजित एक किसान महापंचायत के दौरान अपना उपवास तोड़ा. डल्लेवाल का उपवास 131 दिनों तक चला, और इसे तोड़े जाने के संकेत शनिवार को ही मिल गए थे, जब डल्लेवाल के करीबियों ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किए गए उस आह्वान का स्वागत किया था, जिसमें डल्लेवाल से उपवास तोड़ने की अपील की गई थी. जहां शिवराज सिंह चौहान के बाद, राज्य मंत्री रवीनीत सिंह बिट्टू ने भी डल्लेवाल से उपवास समाप्त करने की अपील की थी.

उपवास तोड़ने का क्या है कारण?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,  डल्लेवाल ने उपवास तोड़ते हुए कहा, "हालांकि मैं चाहता था कि तब तक उपवास जारी रखें जब तक हमारी 12 मांगें पूरी नहीं हो जातीं, लेकिन जैसे-जैसे और अधिक अपीलें आ रही थीं कि मुझे विभिन्न राज्यों में किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर संगठित करने के लिए यात्रा करनी चाहिए, मैंने उन अपीलों को स्वीकार करने का निर्णय लिया है.

उन्होंने ये भी कहा, " फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) कानूनी रूप से सुनिश्चित कराने के संघर्ष को जारी रखा जाएगा. ऐसे में इसके लिए हमें तैयार रहना होगा. अगर जरूरत पड़ी तो हम उचित समय पर फिर से मोर्चा शुरू करेंगे.

केंद्र सरकार के खिलाफ नाराजगी और संघर्ष जारी रखने का संकल्प

डल्लेवाल ने यह भी कहा कि 4 मई को केंद्रीय मंत्रियों के साथ प्रस्तावित बैठक में वे भाग लेंगे, लेकिन उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि सरकार से कैसे विश्वास किया जा सकता है, जिन्होंने किसान नेताओं को बात करने के लिए बुलाया और फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. फिर भी, डल्लेवाल ने ये साफ किया कि वे अगली बैठक में भाग लेंगे, भले ही उन्हें फिर से गिरफ्तार किया जाए.

किसान आंदोलन में ढेरों संघर्ष और डल्लेवाल का समर्पण

नवंबर 26, 2024 को, जब डल्लेवाल ने भूख हड़ताल की घोषणा की थी, तब उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और लुधियाना के अस्पताल में भर्ती कराया था. हालांकि, बाद में, जब उन्हें राहत मिली, तो डल्लेवाल ने फिर से अपनी हड़ताल जारी रखी. जनवरी 18, 2025 को, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें बातचीत के लिए निमंत्रण दिया, जिसके बाद डल्लेवाल ने मेडिकल मदद लेना शुरू किया, जिसे पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की अपील के बावजूद नकार दिया था.

मार्च 19 को, डल्लेवाल और अन्य नेताओं को केंद्रीय और पंजाब मंत्रियों से मुलाकात के बाद गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, उन्होंने अपनी भूख हड़ताल जारी रखी थी और पानी पीने से भी इनकार कर दिया था, जब तक कि गिरफ्तार किए गए नेता जेलों से रिहा नहीं हो गए.

किसानों की ओर से दबाव और आगामी संघर्ष

किसान नेता अभिमन्यू कोहड़ ने कहा कि कईराज्यों के किसानों से बहुत दबाव था, जो चाहते थे कि डल्लेवाल उनके पास आएं. इस दबाव को देखते हुए डल्लेवाल ने उपवास तोड़ा और किसानों के संघर्ष का नेतृत्व करने का निर्णय लिया. किसान संगठनों जैसे संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मज़दूर मोर्चा ने फरवरी 13, 2024 को दिल्ली चलो-2 का आह्वान किया था, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें आंसू गैस के गोले फेंककर रोक लिया था.