पंजाब सरकार ने बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है. राज्य के स्कूलों और कॉलेजों के परिसरों के साथ-साथ 500 मीटर के दायरे में एनर्जी ड्रिंक्स की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई गई है. भगवंत मान सरकार इस सप्ताह इस निर्णय को लागू करने के लिए आदेश जारी कर सकती है. सरकार का मानना है कि इन पेय पदार्थों में मौजूद कैफीन और उत्तेजक तत्व बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं.
एनर्जी ड्रिंक्स क्यों हैं निशाने पर?
कई शोध और अध्ययनों में यह सामने आया है कि एनर्जी ड्रिंक्स बच्चों के लिए खतरनाक हो सकते हैं. ये पेय नींद की कमी, अनियमित हृदय गति, चिड़चिड़ापन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं. पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए इन ड्रिंक्स की बिक्री पर रोक लगाने के प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे दी है. अब स्कूलों और कॉलेजों के आसपास इनकी बिक्री को पूरी तरह बंद करने की तैयारी है, ताकि बच्चे इनके दुष्प्रभावों से सुरक्षित रहें.
सर्वे के आधार पर ठोस कदम
इस नीति को लागू करने से पहले पंजाब सरकार वैज्ञानिक आधार तैयार कर रही है. स्वास्थ्य विभाग ने डॉ. संदीप भोला को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है, जो एक व्यापक सर्वे की निगरानी कर रहे हैं. इस सर्वे में राज्य के बाजारों में उपलब्ध एनर्जी ड्रिंक्स की जांच हो रही है, जिसमें कैफीन की मात्रा और बच्चों पर इसके प्रभाव का विश्लेषण शामिल है. यह अध्ययन नीति को मजबूती प्रदान करेगा, जिससे इसे कानूनी चुनौतियों से बचाया जा सके.
पंजाब बनेगा पहला एनर्जी ड्रिंक मुक्त राज्य
यदि यह योजना सफल होती है, तो पंजाब देश का पहला राज्य होगा, जहां स्कूलों और कॉलेजों के आसपास एनर्जी ड्रिंक्स की बिक्री पर पूर्ण रोक होगी. यह कदम न केवल बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करेगा, बल्कि अन्य राज्यों को भी प्रेरित करेगा. एफएसएसएआई ने भी स्कूल कैंटीन और आसपास की दुकानों में इन पेय पदार्थों की बिक्री पर रोक की सिफारिश की है. पंजाब सरकार का यह प्रयास बच्चों को स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.