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India Daily

'पापा-दादी मम्मी को छत पर ले गए और दिया धक्का' , 7 साल के बेटे की गवाही ने मां को 5 साल बाद दिलाया इंसाफ

इस मामले में सबसे अहम गवाह अनुराधा का 7 साल का बेटा सूर्यांश है. उसने बहादुरी से कोर्ट को बताया, पापा और दादी मम्मी को छत पर ले गए और नीचे धकेल दिया. मम्मी मदद के लिए चिल्ला रही थीं.

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Edited By: Gyanendra Sharma
MP News
Courtesy: Social Media

ग्वालियर के एक 7 वर्षीय लड़के ने अपने पिता को जेल की हवा खिला दी. पिता और दादी ने मिलकर उसकी मां की हत्या की थी. हत्या के पांच साल बाद उसे न्याय मिला है. उनके पिता राकेश सिकरवार (42) जो सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी हैं, और उनकी दादी मालती सिकरवार (70) को उनकी मां अनुराधा की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. सिकरवार और उनकी मां मालती को 11 जुलाई, 2020 को राकेश की पत्नी अनुराधा को उनके घर की छत से धक्का देने का दोषी पाया गया था. ग्वालियर जिला अदालत ने दोनों पर 1,000-1,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

जानकारी के मुताबिक, इस मामले में सबसे अहम गवाह अनुराधा का 7 साल का बेटा सूर्यांश था. उसने बहादुरी से कोर्ट को बताया, "पापा और दादी मम्मी को छत पर ले गए और नीचे धकेल दिया. मम्मी मदद के लिए चिल्ला रही थीं. राकेश ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की और कहा कि उसकी पत्नी ने खुद ही छत से छलांग लगाई है. वह उसे सैन्य अस्पताल भी ले गया, जहां बाद में उसकी मौत हो गई. लेकिन डॉक्टरों ने उसके शरीर पर चोटों के निशान पाए, जिससे पता चलता है कि गिरने से पहले उस पर हमला किया गया था.

सूर्यांश के ईमानदार और स्पष्ट बयान दिया

न्यायाधीश विशाल अखंड ने फैसले में कहा कि सूर्यांश के ईमानदार और स्पष्ट बयान तथा मेडिकल रिपोर्ट से अपराध साबित होता है.  न्यायाधीश ने कहा कि अपराध गंभीर है और दोषी किसी सहानुभूति के पात्र नहीं हैं. सरकारी वकील जगदीश शाक्यवार ने कहा कि सूर्यांश ने अदालत को यह भी बताया कि उसके पिता उसकी मां को बेल्ट से पीटते थे और मारपीट के दौरान उसे कमरे से बाहर भेज देते थे.

राकेश पर पहले भी दहेज के लिए अनुराधा को परेशान करने का आरोप था. समुदाय के लोगों द्वारा मामले को सुलझाने की कोशिश करने के बाद भी वह अपनी हिंसक हरकतें जारी रखता था. सेना से रिटायर होने के बाद वह घर लौटा और हत्या को अंजाम दिया. पुलिस ने 17 जुलाई 2020 को मामला दर्ज किया.

कोर्ट ने पहले बच्चे की समझ की जांच की

सूर्यांश के बयान को स्वीकार करने से पहले कोर्ट ने जांच की कि क्या वह सच बोलने का मतलब समझ सकता है. जब जज ने उससे पूछा कि लोगों को सच बोलना चाहिए या झूठ, तो सूर्यांश ने जवाब दिया, "हमें सच बोलना चाहिए. जब उससे पूछा गया कि क्या कभी-कभी झूठ बोलना ठीक है, तो उसने कहा कि झूठ नहीं बोलना चाहिए.