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India Daily

Cheetah Project: CM मोहन यादव गांधी सागर में छोड़ेंगे 2 चीते, क्या कूनो के बाद बनेगा चीतों का नया घर?

अफ्रीकी देशों से चीते लाकर मध्यप्रदेश के जंगलों में बसाया जा रहा है. कूनो पार्क में 26 चीते हैं और मई 2025 तक 8 और चीतों को लाने की योजना है, जिससे उनकी संख्या बढ़ेगी.

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Edited By: Anvi Shukla
Leopards In Gandhi Sagar Sanctuary
Courtesy: social media

Leopards In Gandhi Sagar Sanctuary: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रविवार, 19 अप्रैल को गांधी सागर अभयारण्य में दो चीतों को छोड़कर मध्यप्रदेश के 'चीता प्रोजेक्ट' को एक नया मोड़ देंगे. इससे गांधी सागर, मध्यप्रदेश का दूसरा ऐसा स्थान बन जाएगा, जहां चीतों को फिर से बसाया जाएगा. इससे पहले श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में यह प्रयास सफलतापूर्वक चल रहा है.

चीतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अफ्रीकी देशों से चीते लाए जा रहे हैं, ताकि उन्हें मध्यप्रदेश के जंगलों में बसाया जा सके. कूनो पार्क में फिलहाल 26 चीते हैं, मई 2025 तक बोत्सवाना से और 8 चीते लाए जाएंगे. यह परियोजना राजस्थान और मध्यप्रदेश की साझेदारी से प्रोपोसड इंटर-स्टेट चीता संरक्षण परिसर के रूप में बड़ी सफलता साबित हो सकती है.

 

गांधी सागर सैंक्चुअरी का महत्व

गांधी सागर अभयारण्य, जिसे 1984 में अधिसूचित किया गया था, जैव विविधता और पुरातात्विक दृष्टिकोण से समृद्ध है. यह क्षेत्र चतुर्भुजनाथ मंदिर, वन शैलचित्र स्थलों और कई दुर्लभ प्रजातियों का घर है. यहां सलाई, तेंदू, पलाश जैसे वृक्षों के साथ-साथ तेंदुआ, ऊदबिलाव और चिंकारा जैसे वन्यजीव भी पाए जाते हैं.

परियोजना पर हुए खर्च

अब तक चीता रिहैबिलिटेशन परियोजना पर 112 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, जिनमें से 67 प्रतिशत राशि अकेले मध्यप्रदेश में खर्च हुई है. यह परियोजना न केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बनेगी.

'चीता प्रोजेक्ट' की सफलता

मध्यप्रदेश में 17 सितंबर 2022 को चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई, जब नामीबिया से 8 चीते प्रदेश लाए गए. फिर फरवरी 2023 में साउथ अफ्रीका से 13 चीते आए थे. अब गांधी सागर में भी इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की योजना है.