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India Daily

कर्नाटक में सफेद मक्खी का प्रकोप, 14 जिलों के 1.48 लाख हेक्टेयर में फैले नारियल के पेड़ों पर मंडराया खतरा

सफेद मक्खी का यह प्रकोप कर्नाटक के नारियल उत्पादन के लिए एक चेतावनी है. सरकार और किसानों को मिलकर इस समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिक और व्यावहारिक उपाय खोजने होंगे. प्राकृतिक तरीकों से कीट नियंत्रण और फसल की रक्षा करना अब समय की जरूरत है, ताकि राज्य का नारियल उद्योग इस संकट से उबर सके.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
coconut crop in Karnataka

कर्नाटक के 14 जिलों में फैले 1.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में नारियल के पेड़ सफेद मक्खी रोग से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. यह जानकारी उद्योग मंत्री एम. बी. पाटिल ने 14 मार्च 2025 को विधानसभा में दी. यह समस्या राज्य के नारियल उत्पादन के लिए एक गंभीर चुनौती बनकर उभरी है, जिसने किसानों की आजीविका पर भी असर डाला है.
मंत्री ने जेडी(एस) विधायक सुरेश बाबू के सवाल के जवाब में बताया कि तुमकुरु जिले में 64,457 हेक्टेयर और हासन जिले में 34,530 हेक्टेयर क्षेत्र में नारियल के पेड़ों पर सफेद मक्खी का असर सबसे ज्यादा देखा गया है. इसके अलावा, चिक्कमगलुरु, मांड्या, मैसूरु, दावणगेरे, चित्रदुर्ग, शिवमोग्गा, दक्षिण कन्नड़, चामराजनगर, रामनगर, बेंगलुरु ग्रामीण और कोलार जिलों में भी यह रोग व्यापक रूप से फैल गया है. इस बीमारी के कारण नारियल की पैदावार में भारी कमी आई है.

सरकार की ओर से उठाए गए कदम
उद्यानिकी, खनन और भूविज्ञान मंत्री एस. एस. मल्लिकार्जुन की ओर से जवाब देते हुए पाटिल ने कहा कि नारियल के पेड़ों की प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर इस कीट और अन्य बीमारियों पर नियंत्रण संभव है. इसके लिए नारियल विकास बोर्ड योजना के तहत चालू वर्ष में 15.31 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है. इस योजना के अंतर्गत प्रदर्शन भूखंडों के रखरखाव के लिए दो साल तक प्रति हेक्टेयर 35,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी.

पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में 60.33 करोड़ रुपये का उपयोग कर 50,612 किसानों द्वारा 34,617 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रदर्शन कार्य किए गए. सरकार का लक्ष्य किसानों को इस समस्या से निपटने के लिए संसाधन और जानकारी उपलब्ध कराना है.

कीटनाशकों की प्रभावशीलता पर सवाल
मंत्री ने बताया कि सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों का उपयोग बहुत प्रभावी नहीं है. इसलिए किसानों में जागरूकता फैलाने पर जोर दिया जा रहा है. ड्रोन से कीटनाशकों के छिड़काव के सुझाव पर उन्होंने कहा कि नारियल के बागानों में यह तरीका कारगर नहीं होगा, क्योंकि पेड़ों की ऊंचाई और संरचना इसे मुश्किल बनाती है.

50% से अधिक घट गई नारियल की फसल
बीजेपी विधायक सुरेश गौड़ा और सुरेश बाबू ने चिंता जताई कि इस साल सफेद मक्खी के कारण नारियल की पैदावार 50% से अधिक घट गई है, जिससे नारियल के दामों में वृद्धि हुई है. उन्होंने प्रभावित किसानों के लिए प्रति एकड़ 50,000 रुपये मुआवजे की मांग की. उनका कहना है कि यह संकट न केवल किसानों की आय को प्रभावित कर रहा है, बल्कि बाजार में नारियल की उपलब्धता पर भी असर डाल रहा है.