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India Daily

11 सालों से जेल में बंद दोषी करना चाहता था खेती, कर्नाटक HC ने दी 90 दिनों की छुट्टी

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए एक हत्या मामले के दोषी को 90 दिनों का पैरोल देने का आदेश दिया है. इस मामले में दोषी ने जेल अधीक्षक द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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Edited By: Shanu Sharma
Karnataka High Court
Courtesy: Karnataka High Court

Bengaluru: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक हत्या के दोषी को 90 दिन की पैरोल देने का आदेश दिया है.  जिससे दोषी को अपने पिता के खेत पर कृषि कार्यों की देखरेख करने का मौका मिला है. हालांकि कोर्ट के इस फैसले से पहले बेंगलुरु के केंद्रीय कारागार के अधीक्षक ने चंद्रा के पैरोल अनुरोध को पहले खारिज कर दिया था. जिसके बाद इस मामले की सुनवाई अदालत में की गई. 

बेंगलुरु उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कारागार अधीक्षक को 90 दिन के लिए पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार न्यायाधीश ने कहा कि पैरोल अवधि के दौरान दोषी को किसी भी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए. इसके लिए उन्हें हर सप्ताह के पहले दिन क्षेत्राधिकार वाली पुलिस के पास अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी.

अदालत ने दिया आदेश 

न्यायमूर्ति चंदनगौदर ने अपने आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता 11 साल से अधिक समय से न्यायिक हिरासत में है. उसे इससे पहले पैरोल पर रिहा नहीं किया गया है. तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए उसने पैरोल पर अपनी रिहाई के लिए प्रथम दृष्टया मामला स्थापित किया है. इसके साथ ही उन्होंने यह बात भी मानी है कि अगर उन्होंने अपने पैरोल की शर्तों का उल्लंघन किया तो उसका पैरोल स्वतः रद्द हो जाएगा. चंद्रा पिछले 11 वर्षों से जेल में बंद है और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

जेल अधीक्षक ने खारिज की थी अर्जी

कुछ दिनों पहले उन्होंने जेल अधीक्षक को एक आवेदन दिया था जिसमें उन्होंने पैरोल की मांग की थी. जिसमें उन्होंने तर्क दिया था कि उसके परिवार में कृषि भूमि के कार्य को संभालने के लिए कोई पुरुष सदस्य नहीं है. वह इस कार्य में मदद के लिए पैरोल पर रिहा होना चाहता है. दोषी द्वारा ये अपील किए जाने के बाद जेल अधीक्षक ने 23 सितंबर को उनकी इस मांग को खारिज कर दिया.

जिसके बाद चंद्रा ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. जिसमें न्यायमूर्ति चंदनगौदर ने चंद्रा की याचिका पर विचार करते हुए यह फैसला सुनाया. उन्होंने कहा  प्रतिवादी संख्या 1 (जेल अधीक्षक) को यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह पैरोल अवधि के दौरान कोई अपराध नहीं करता है. इसके अलावा न्यायाधीश ने यह भी कहा कि यदि चंद्रा ने किसी भी शर्त का उल्लंघन किया तो उसका पैरोल तुरंत रद्द हो जाएगा.