Muda Scam Case: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को झटका देते हुए, जनप्रतिनिधियों के लिए विशेष अदालत ने सोमवार को लोकायुक्त पुलिस को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) मामले में उन्हें दी गई क्लीन चिट को स्वीकार करने के बजाय अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दे दी.
कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस की ओर से दाखिल की गई 'बी रिपोर्ट' पर फैसला टाल दिया है. इस रिपोर्ट में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को किसी भी गलती से बरी किया गया था. कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वह पूरी और विस्तृत अंतिम रिपोर्ट जमा करे, उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.
क्या है MUDA केस?
MUDA केस में आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी को मैसूर के प्रमुख इलाके में मुआवजे के तौर पर प्लॉट आवंटित किए गए. बताया गया है कि जिस ज़मीन के बदले उन्हें ये साइटें दी गईं, उसकी बाज़ार कीमत इन साइटों की तुलना में कहीं कम थी.
50:50 योजना के तहत हुआ था आवंटन
यह आवंटन MUDA की 50:50 योजना के तहत हुआ, जिसमें विकसित की गई भूमि का 50 प्रतिशत हिस्सा ज़मीन देने वाले को वापस दिया जाता है. दावा किया गया है कि पार्वती (सिद्धारमैया की पत्नी) के पास उस ज़मीन का वैध स्वामित्व ही नहीं था, जिसे उन्होंने MUDA को सौंपा था. यह ज़मीन मैसूर तालुक के कसरारे गांव के सर्वे नंबर 464 में स्थित बताई जाती है.
मुख्यमंत्री ने लगाए गए आरोपों को नकारा
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उनका कहना है कि जमीन सौदा पूरी तरह नियमों के अनुसार किया गया था और इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. उन्होंने विपक्ष द्वारा मांगा गया इस्तीफा भी ठुकरा दिया है.
पिछली कार्यकाल में हुई थी कथित गड़बड़ियां
यह मामला सिद्धारमैया के पहले कार्यकाल के दौरान के भूमि आवंटन से जुड़ा है. आरोप है कि उस दौरान कार्यालय का दुरुपयोग कर के कुछ लोगों को विशेष लाभ पहुंचाया गया.