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India Daily

CM सिद्धारमैया को बड़ी राहत, Muda Case में CBI जांच की मांग वाली याचिका खारिज

कर्नाटक हाई कोर्ट ने आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने की मांग की गई थी.

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Edited By: Babli Rautela
Relief for Siddaramaiah
Courtesy: Social Media

Relief for Siddaramaiah: कर्नाटक हाई कोर्ट ने शुक्रवार को आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने की मांग की गई थी.

कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि, 'लोकायुक्त को बाहरी प्रभाव से मुक्त रखने को पहले ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट मान्यता दे चुके हैं. सीबीआई को जांच सौंपने से कोई अतिरिक्त लाभ नहीं होगा, क्योंकि यह याचिका में बताई गई समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता.' इस फैसले के बाद अब इस मामले की जांच लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र में ही रहेगी, जिससे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को राहत मिली है.

क्या थे सिद्धारमैया पर आरोप?

यह मामला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी पत्नी पार्वती बीएम से जुड़ा हुआ था, जिन पर मैसूर विकास प्राधिकरण द्वारा 14 साइटों के अवैध आवंटन का आरोप था. सिद्धारमैया ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा, 'मैं अदालत के फैसले का सम्मान करता हूं.'

याचिकाकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने निराशा जताते हुए कहा कि वह सीबीआई जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे. याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि आरोपी को यह तय करने का अधिकार नहीं कि जांच कौन करे. वहीं, मुख्यमंत्री के वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि यदि आरोपी जांच एजेंसी नहीं चुन सकता, तो याचिकाकर्ता को भी ऐसा करने का अधिकार नहीं होना चाहिए.

क्या है MUDA?

मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA), कर्नाटक की एक राज्य स्तरीय विकास संस्था है, जिसकी स्थापना मई 1988 में की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य शहरी विकास को प्रोत्साहित करना, बेहतर बुनियादी ढांचा प्रदान करना और किफायती आवास उपलब्ध कराना है. MUDA अलग अलग शहरी योजनाओं के तहत आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों का निर्माण एवं आवंटन करता है.

MUDA भूमि घोटाला: विवाद क्या है?

MUDA ने भूमि खोने वाले लोगों को मुआवजा देने के लिए '50:50 योजना' लागू की थी. इस योजना के तहत, जिनकी भूमि अधिग्रहित की गई थी, उन्हें विकसित क्षेत्र में 50% हिस्सेदारी दी जाती थी. यह योजना 2009 में लागू हुई, लेकिन 2020 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने इसे बंद कर दिया. हालांकि, योजना बंद होने के बाद भी MUDA ने जमीन अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा, जिससे विवाद खड़ा हो गया. आरोप है कि इस प्रक्रिया के तहत मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती बीएम को अनुचित लाभ पहुंचाया गया, जिससे यह मामला घोटाले के रूप में उभरकर सामने आया.