'सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं', बजट में मुस्लिमों को दिया आरक्षण फिर बदले कर्नाटक सरकार के बोल

DK Shivakumar: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शनिवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के 4% आरक्षण विवाद पर उनका समर्थन किया. भाजपा द्वारा कांग्रेस सरकार पर मुसलमानों को खुश करने के लिए यह आरक्षण लागू करने का आरोप लगाए जाने के बाद, शिवकुमार ने स्पष्ट किया कि यह आरक्षण सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं, बल्कि सभी अल्पसंख्यक समुदायों और पिछड़ी जातियों के लिए है.

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DK Shivakumar: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शनिवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के 4% आरक्षण विवाद पर उनका समर्थन किया. भाजपा द्वारा कांग्रेस सरकार पर मुसलमानों को खुश करने के लिए यह आरक्षण लागू करने का आरोप लगाए जाने के बाद, शिवकुमार ने स्पष्ट किया कि यह आरक्षण सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं, बल्कि सभी अल्पसंख्यक समुदायों और पिछड़ी जातियों के लिए है.

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 2025 के राज्य बजट में सरकारी ठेकों में 4% आरक्षण का ऐलान किया. इस बजट में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के कल्याण के लिए 42,018 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया. हालांकि, मुख्यमंत्री ने किसी विशेष समुदाय का नाम नहीं लिया, लेकिन बजट में कैटेगरी 2B का उल्लेख किया गया, जिसमें केवल मुसलमानों को शामिल किया गया था.

भाजपा के आरोपों पर डीके शिवकुमार का करारा जवाब

भाजपा ने कर्नाटक सरकार पर आरोप लगाया कि वह मुसलमानों को खुश करने के लिए यह आरक्षण लागू कर रही है और इसे "अपेसीमेंट पॉलिटिक्स" का शिखर करार दिया. भाजपा राज्य अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह कर्नाटक को जातिवाद की ओर ले जा रही है और इस आरक्षण का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि न तो काम आवंटित किया गया है और न ही कोई टेंडर जारी किए गए हैं.

इसके जवाब में डीके शिवकुमार ने कहा कि यह आरक्षण सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं है, बल्कि यह सभी अल्पसंख्यकों और पिछड़े समुदायों के लिए है. उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य सभी कमजोर वर्गों को समान रूप से लाभ पहुंचाना है और यह कदम उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए है.

सरकार का उद्देश्य और भाजपा की आलोचना

डीके शिवकुमार ने यह भी कहा कि इस आरक्षण का मुख्य उद्देश्य उन समुदायों की मदद करना है जो अब तक समाज में आर्थिक रूप से पीछे रहे हैं. उन्होंने भाजपा से यह सवाल किया कि क्या वे मानते हैं कि केवल मुसलमान ही अल्पसंख्यक समुदाय हैं?