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सिद्धारमैया को 'हटना पड़ा' तो कर्नाटक में कौन होगा उनका उत्तराधिकारी? कांग्रेस में मंथन जारी

Karnataka Muda Case: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की कानूनी लड़ाई के बीच उनके उत्तराधिकारी पर मंथन शुरू हो गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, डीके शिवकुमार ने सिद्धारमैया के पद छोड़ने पर जी परमेश्वर से सीएम पद के लिए समर्थन मांगा है. लेकिन कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने एचसी महादेवप्पा या सतीश जरकीहोली का समर्थन करने की बात कही है.

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Edited By: India Daily Live
Siddaramaiah successor
Courtesy: pinterest

Karnataka Muda Case: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए कानूनी परेशानियां बढ़ने के साथ ही कर्नाटक कांग्रेस में भी मंथन चल रहा है कि अगर उन्हें पद छोड़ना पड़ा तो उनकी जगह कौन लेगा? प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से मामला दर्ज किए जाने से कुछ घंटे पहले उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार सोमवार को गृह मंत्री जी परमेशवा के घर पहुंचे. बैठक में शिवकुमार ने अपने पार्टी सहयोगियों को राज्य सचिवालय या पार्टी कार्यालय के बाहर बैठक न करने का आदेश दिया था, जिससे राज्य कांग्रेस हलकों में हड़कंप मच गया.

एक दिन बाद, परमेश्वर, लोक निर्माण विभाग मंत्री सतीश जरकीहोली और समाज कल्याण मंत्री डॉ. एचसी महादेवप्पा समेत तीन अन्य मंत्रियों ने एक अलग बैठक की. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, दोनों बैठकों को व्यापक रूप से उन लोगों के बीच उत्तराधिकार के सवाल पर चर्चा के रूप में देखा जा रहा है, जिन्हें सिद्धारमैया के अपनी कुर्सी छोड़ने की स्थिति में सीएम बनने के लिए पसंदीदा माना जाता है.

जगजाहिर है शिवकुमार के सीएम बनने की ख्वाहिश

शिवकुमार की सीएम बनने की ख्वाहिश जगजाहिर है. इस बार जब कांग्रेस कर्नाटक में सत्ता में लौटी थी, तो शिवकुमार ने मुख्यमंत्री पद लेने के लिए जोर लगाया था, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धारमैया को चुना. हालांकि, उस समय शिवकुमार खेमे ने दावा किया था कि ये एक सत्ता-साझाकरण समझौता था, जिसमें सिद्धारमैया दो या तीन साल बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ देंगे.

परमेश्वर से मुलाकात करके शिवकुमार ने ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर सीएम के रूप में दावा करने के लिए समर्थन मांगा है. बताया जाता है कि उन्होंने परमेश्वर को डिप्टी सीएम पद और बहुप्रतीक्षित बेंगलुरु विकास विभाग देने का वादा किया है, अगर वे उन्हें सीएम बनाने के लिए समर्थन देते हैं. परमेश्वर जो अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से हैं, वे भी मुख्यमंत्री पद के आकांक्षी हैं. वे 2018 के चुनावों के बाद सत्ता में आई अल्पकालिक कांग्रेस-जद (सेक्युलर) सरकार में उपमुख्यमंत्री थे. 

क्या कर्नाटक को मिलेगा पहला दलित मुख्यमंत्री?

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, सिद्धारमैया महादेवप्पा या जारकीहोली में से किसी एक को अपना समर्थन देने की संभावना रखते हैं. महादेवप्पा दलित हैं, जबकि जारकीहोली अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय से हैं. कांग्रेस के कुछ अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, सीएम चाहते हैं कि उनका उत्तराधिकारी कोई दलित हो. अगर ऐसा होता है, तो कर्नाटक को अपना पहला दलित सीएम मिल जाएगा.

हालांकि, सार्वजनिक रूप से इन सभी नेताओं ने कहा कि ये बैठकें उत्तराधिकार के सवाल पर नहीं बल्कि आधिकारिक सरकारी और पार्टी के काम के बारे में थीं. सोमवार की बैठक के बाद, शिवकुमार ने कहा कि उन्होंने और परमेश्वर ने येत्तिनाहोले परियोजना पर चर्चा की, जिसका पहला चरण पिछले महीने शुरू हुआ था.

बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में जारकीहोली ने कहा कि उन्होंने बैठक के दौरान राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि ये सीएम पद की दौड़ को लेकर बैठक थी... हमने सीएम पद को छोड़कर बाकी सभी मुद्दों पर चर्चा की.

पिछले कुछ दिनों में सिद्धारमैया ने अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ कई बैठकें की हैं. समझा जाता है कि चर्चा मुख्य रूप से सीएम के खिलाफ दर्ज मामलों से निपटने के लिए आवश्यक कानूनी उपायों के इर्द-गिर्द घूमती रही. ED की ओर से सिद्धारमैया पर मामला दर्ज किए जाने के बाद, कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने संकेत दिया है कि वह उनका समर्थन करना जारी रखेगा.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के सूत्रों ने कहा है कि सिद्धारमैया के खिलाफ मामला कुछ और नहीं बल्कि एक राजनीतिक साजिश है और राज्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, गुटबाजी के बावजूद, सिद्धारमैया के पीछे हैं. सूत्रों ने कहा है कि सिद्धारमैया को पद छोड़ने के लिए कहने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि वह पार्टी के लोकप्रिय पिछड़े वर्ग के चेहरों में से एक हैं और ऐसे समय में उनकी जगह लेना जब पार्टी आक्रामक रूप से ओबीसी राजनीतिक कार्ड खेल रही है, राजनीतिक रूप से उलटा पड़ सकता है. सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से हैं, जो कर्नाटक के सबसे बड़े ओबीसी समूहों में से एक है.