कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस ने बुधवार (19 फरवरी) को MUDA (मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण) भूमि आवंटन मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी बीएम पार्वती, और दो अन्य आरोपियों को 'साक्ष्य की कमी' के आधार पर क्लीन चिट दी. इसके साथ ही अपनी फाइनल रिपोर्ट कर्नाटक हाई कोर्ट में पेश की. इस मामले में अन्य आरोपी सिद्धारमैया के साले (पार्वती के भाई) मल्लीकरुजुन स्वामी और देवराजू, एक भूमि मालिक हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लोकायुक्त पुलिस ने एक पत्र में कहा, "चूंकि आरोपियों 1 से 4 के खिलाफ आरोपों को सबूत की कमी के कारण साबित नहीं किया जा सका, इसलिए फाइनल रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की जा रही है.
लोकायुक्त पुलिस का बयान
इसके अलावा, लोकायुक्त ने यह भी बताया कि MUDA द्वारा 2016 से 2024 तक 50:50 अनुपात में मुआवजा भूखंड आवंटित करने के आरोपों की आगे जांच की जाएगी और इस पर एक अतिरिक्त रिपोर्ट हाई कोर्ट को पेश की जाएगी.
यह घटनाक्रम कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो को ट्रांसफर करने की याचिका को खारिज करने के कुछ दिनों बाद हुआ है. केंद्रीय जांच ब्यूरो देश की प्रमुख जांच एजेंसी है, जो केंद्र सरकार को रिपोर्ट करती है.
जानिए क्या है MUDA भूमि आवंटन मामला?
MUDA मामले में शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि बीएम पार्वती को मैसूर के एक प्रमुख क्षेत्र में मुआवजा भूमि आवंटित की गई थी, लेकिन यह भूमि उनकी जमीन के मुकाबले कहीं अधिक मूल्यवान थी, जिसे MUDA ने अधिग्रहित किया था. MUDA ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात में भूमि आवंटित की थी, जिस पर एक आवासीय लेआउट विकसित किया गया था.
विवादास्पद योजना और आरोप
इस विवादास्पद योजना के तहत, MUDA ने भूमि हानि करने वालों को विकसित भूमि का 50 प्रतिशत भाग दिया था, बदले में उन से अविकसित भूमि अधिग्रहित की गई थी, जिस पर आवासीय योजनाएं बनाई जा रही थीं. आरोप है कि पार्वती के पास कासरे गांव, कसबा होबली, मैसूर तालुक के सर्वे नंबर 464 की इस 3.16 एकड़ भूमि पर कोई कानूनी अधिकार नहीं था.
कर्नाटका हाई कोर्ट में आगे की प्रक्रिया
इस मामले की अब आगे की जांच और संबंधित रिपोर्ट कर्नाटक हाई कोर्ट को पेश की जाएगी. इसके साथ ही, लोकायुक्त पुलिस ने स्पष्ट किया कि मामले में कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिलने के कारण आरोपियों को क्लीन चिट दी गई है.