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डीके शिवकुमार ने अध्यक्ष पद छोड़ने से किया इनकार, कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में फिर आया भूचाल!

कर्नाटक कांग्रेस में यह संघर्ष यह संकेत करता है कि राज्य की राजनीति में अगले कुछ महीनों में और बदलाव हो सकते हैं. डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की स्थिति इस समय कांग्रेस के अंदर एक महत्वपूर्ण सवाल बन चुकी है. ऐसे में यह देखना होगा कि इस आंतरिक संघर्ष का पार्टी पर क्या असर पड़ेगा.

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Edited By: Mayank Tiwari
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार
Courtesy: X@DKShivakumar

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार द्वारा कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से इनकार करने से पार्टी के भीतर सत्ता संघर्ष तेज हो गया है, जबकि दिल्ली में नेतृत्व ने संकेत दिया है कि वह कम से कम अभी के लिए उनका समर्थन कर रहा है. दिल्ली की दो दिवसीय यात्रा के बाद बेंगलुरु लौटे शिवकुमार ने कांग्रेस आलाकमान को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि जब तक उन्हें मुख्यमंत्री पद का आश्वासन नहीं मिल जाता, वह पार्टी पद नहीं छोड़ेंगे.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने बदले में सीएम सिद्धारमैया और उनके कैबिनेट के वफादारों को सूचित किया है, जो शिवकुमार को हटाने के लिए दबाव बना रहे हैं, कि इस साल के अंत में होने वाले जिला और तालुक पंचायत चुनावों से पहले राज्य इकाई में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा.

सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच एक दूसरे से आगे निकलने की मची होड़

इस बीच पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि केपीसीसी पद को बरकरार रखने पर शिवकुमार का जोर सीएम बनने के उनके लक्ष्य से जुड़ा हुआ है, उनका कहना है कि इसे छोड़ने से पार्टी के भीतर उनका प्रभाव कमजोर हो सकता है, कांग्रेस की राज्य इकाई पर नियंत्रण पाने के लिए दो दिग्गजों - सिद्धारमैया और शिवकुमार - के बीच एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ मची हुई है.

शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच शक्ति संघर्ष

राजनीतिक विश्लेषक विश्वास शेट्टी ने कहा, "शिवकुमार का पद पर बने रहने का निर्णय मुख्यमंत्री बनने की उनकी महत्वाकांक्षा से जुड़ा हुआ है. यदि वह यह पद छोड़ते हैं, तो इससे उनकी पार्टी में स्थिति कमजोर हो सकती है. सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच सत्ता की खींचतान लगातार बनी हुई है, दोनों नेता कर्नाटका कांग्रेस की राज्य इकाई पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं.

शिवकुमार के खिलाफ सत्ताधारी मंत्रियों का विरोध

कांग्रेस पार्टी के सिद्धारमैया के करीबियों द्वारा शिवकुमार को हटाने का अभियान "एक व्यक्ति, एक पद" के सिद्धांत पर आधारित था. लेकिन इस अभियान को तब झटका लगा जब एक हनीट्रैप विवाद सामने आया, जिसमें कर्नाटका के सहयोग मंत्री केएन राजन्ना सहित 48 राजनेताओं को निशाना बनाया गया था.जिसने राजनीतिक प्रतिष्ठान को हिलाकर रख दिया. इस मामले के उजागर होने के बाद इस अभियान को अस्थायी रूप से रोक दिया गया.

सतीश जारकीहोली की KPCC नेतृत्व परिवर्तन की मांग

आंतरिक असंतोष से अप्रभावित डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने जोर देकर कहा है कि नेतृत्व की भूमिकाएं अर्जित की जानी चाहिए. उन्होंने अपने आलोचकों के जवाब में कहा, "केपीसीसी के पद दुकानों में उपलब्ध नहीं हैं, न ही उन्हें मीडिया से बात करके प्राप्त किया जा सकता है. इधर, लोक निर्माण विभाग मंत्री सतीश जारकीहोली, जो केपीसीसी की शीर्ष भूमिका के लिए एक प्रमुख आकांक्षी के रूप में उभरे हैं, उन्होंने सार्वजनिक रूप से नेतृत्व परिवर्तन के लिए जोर दिया है. 

उन्होंने कहा, " "एआईसीसी महासचिव के पास एक लिखित नोट है (संगठन) और सांसद केसी वेणुगोपाल से 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद केपीसीसी अध्यक्ष के बदलाव पर चर्चा की. जारकीहोली ने जोर देकर कहा कि 2028 के विधानसभा चुनावों से पहले जमीनी स्तर पर समर्थन जुटाने के लिए एक समर्पित अध्यक्ष महत्वपूर्ण है.