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Ranya Rao Case: विक्टिम कार्ड खेल रही रान्या राव की DRI ने खोल दी पोल, सोना तस्करी के लिए बनाया था पूरा रैकेट

गोल्ड स्मगलिंग के इस बड़े रैकेट ने रान्या राव और उनके साथियों के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले हुए नेटवर्क का खुलासा किया है. यह जांच लगातार जारी है, और DRI द्वारा एक मजबूत कार्रवाई की जा रही है ताकि इस अवैध व्यापार को पूरी तरह से समाप्त किया जा सके.

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Edited By: Mayank Tiwari
गोल्ड स्मगलिंग के मामले में प्रमुख आरोपी रान्या राव
Courtesy: Social Media

गोल्ड स्मगलिंग के मामले में प्रमुख आरोपी रान्या राव ने अपनी गिरफ्तारी के बाद यह दावा किया था कि वह एक ‘मूल’ (mule) हैं और उन्हें दबाव में आकर यह काम करना पड़ा, लेकिन जांच से यह साफ हो गया है कि यह एक अच्छी तरह से स्थापित नेटवर्क था जो सालों से चल रहा था. 

डीआरआई सूत्रों ने बताया कि अभिनेता तरुण राज कोंडुरु और राव कथित तौर पर दुबई में वीरा डायमंड्स ट्रेडिंग एलएलसी नाम से एक गोल्ड ट्रेडिंग कंपनी चलाते थे और कॉलेज के समय से ही एक-दूसरे से परिचित थे. वे 2023 में कारोबारी सहयोगी बन गए और 50-50 शेयरहोल्डिंग के आधार पर दुबई में वीरा डायमंड्स की स्थापना की.

विरा डायमंड्स ट्रेडिंग और राव का कनेक्शन

तरुण राज कोंडुरु को मामले में आरोपी नंबर 2 के रूप में नामित किया गया है. कोंडुरु के पूछताछ के दौरान यह पता चला कि राव ने अपने परिवार के संपर्कों का इस्तेमाल करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड ट्रेड को फैलाया था. राव के बैंकॉक और जिनेवा में महत्वपूर्ण ग्राहक थे और वह दोहा और जिनेवा से गोल्ड बार खरीदती थीं, जिसे वह दुबई खातों के माध्यम से विदेशी मुद्रा में भुगतान करती थीं.

हवाला और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन का इस्तेमाल

DRI सूत्रों के अनुसार, योजना यह थी कि गोल्ड को पहले दुबई में आयात किया जाए, फिर दुबई में निवेश किया जाए और अंततः उसे भारत भेजा जाए. राव ने इस कंपनी में 8-10 लाख रुपये का निवेश किया था, जो उन्होंने अपनी HDFC बैंक खाते से किया था. सूत्रों ने यह भी कहा कि राव के निवेश ने उन्हें दुबई निवासी कार्ड प्राप्त करने में मदद की, जिससे उन्हें यूएई में वीज़ा मुक्त प्रवेश मिला और गोल्ड की बार-बार शिपमेंट्स करना आसान हो गया.

स्मगलिंग के वित्तीय पहलू और धोखाधड़ी

स्मगलिंग रैकेट में एक बड़ा वित्तीय धोखाधड़ी भी सामने आई है. DRI के रिमांड आवेदन में यह जिक्र किया गया है कि एक दुबई विक्रेता ने गोल्ड की आपूर्ति नहीं की, जिससे 'विरा डायमंड्स' को 1.7 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

सूत्रों के अनुसार, राव ने यह भुगतान हवाला के जरिए भारत से दुबई भेजा था। राव का दावा था कि वह दुबई में गोल्ड बेच रही थीं, लेकिन जांच में यह पाया गया कि वह असल में गोल्ड भारत में आयात कर रही थीं. वह पिछले साल में कम से कम 27 बार दुबई यात्रा कर चुकी थीं, जिनमें से हर यात्रा के दौरान वह गोल्ड आयात करती थीं बिना कस्टम्स को सूचित किए.

राव की दलील और जमानत अर्जी का खंडन

राव ने पूछताछ के दौरान DRI से कहा था कि वह सिर्फ एक ‘मूल’ हैं और उन्हें दबाव में आकर गोल्ड ले जाने के लिए मजबूर किया गया था. उनका यह आरोप था कि एक अजनबी ने दुबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उन्हें एक VoIP कॉल के माध्यम से गोल्ड का पैकेट सौंपा था. हालांकि, अदालत ने उनके इस बयान को नकारते हुए कहा कि "इस मामले से जुड़ी घटनाएं राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की राजस्व के लिए हानिकारक हैं, इसलिए हम आरोपी नंबर 1 (राव) को जमानत देने के पक्ष में नहीं हैं. अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और राव को 24 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

जमानत याचिका पर सुनवाई

राव को 3 मार्च को केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (KIA) पर 14.2 किलोग्राम गोल्ड के साथ गिरफ्तार किया गया था. उनकी निवास से बाद में जांचकर्ताओं ने गोल्ड ज्वैलरी की कीमत 2.06 करोड़ रुपये और नकद राशि 2.67 करोड़ रुपये बरामद की.