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India Daily

'न्यायपालिका, पत्नी या समाज', बेंगलुरु में इंजीनियर अतुल सुभाष की सुसाइड के लिए कौन जिम्मेदार? सोशल मीडिया पर छिड़ी वॉर

यह कठोर कदम उठाने से पहले, बेंगलुरु के इंजीनियर ने कई लोगों को ईमेल के माध्यम से सुसाइड नोट भेजा और इसे एक एनजीओ से जुड़े व्हाट्सएप ग्रुप में साझा किया, जिसका वह हिस्सा था.

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Edited By: Reepu Kumari
Suicide of engineer Atul Subhash
Courtesy: Pinteres

Bengaluru: उत्तर प्रदेश के 34  साल के एक व्यक्ति ने सोमवार को बेंगलुरु में अपने घर पर आत्महत्या कर ली. अतुल सुभाष, जो एक निजी फर्म में इंजीनियर थे, उन्होने 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट छोड़ा है जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और उसके रिश्तेदारों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

शुरुआती जांच से पता चलता है कि सुभाष वैवाहिक समस्याओं का सामना कर रहा था और उसकी पत्नी ने उत्तर प्रदेश में उसके खिलाफ कई मामले दर्ज किए थे, जिसके बारे में उसने एक वीडियो में विस्तार से चर्चा की थी. इतना बड़ा कदम उठाने से पहले, उसने कई लोगों को ईमेल के जरिए सुसाइड नोट भेजा और इसे एक एनजीओ से जुड़े व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर किया, जिसका वह हिस्सा था.


सोशल मीडिया पर भड़का गुस्सा

इंजीनियर की आत्महत्या पर जमकर बवाल हो रहा है. इसे लेकर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. हर कोई अलग-अलग अपनी राय दे रहा है. 

कौन जिम्मेदार? 

एक्स पर एक यूजर ने लिखा कि 'मिलिए अतुल सुभाष से. भाई को नौकरी मिल गई, टैक्स चुकाया, जिससे मायलॉर्ड्स को वेतन मिला. भाई ने शादी कर ली और तलाक ले लिया और प्रति माह 40 हजार गुजारा भत्ता देना शुरू कर दिया, लेकिन उसकी लालची पत्नी प्रति माह 2 लाख चाहती थी. भाई ने अपनी जान दे दी. कौन जिम्मेदार है? न्यायपालिका? उसकी पत्नी? या समाज?'

'तारीख पर तारीख' 

एक ने लिखा कि 'अतुल सुभाष को अब नहीं देखना बहुत दुखद है. मैं देख सकता हूं कि उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया, जिसके कारण उन्हें अवसाद हुआ और अंततः उन्होंने अपना जीवन समाप्त कर लिया. उन्होंने हार मान ली क्योंकि उन्होंने उस प्रणाली से उम्मीद खो दी थी जो 2 वर्षों में 10 मामलों में सुनवाई की 120 तारीखें देती थी.'

'महिलाओं को सड़कों पर...'

एक्स पर Advocate Sunil Sharm नाम के एक यूजर ने लिखा कि  'बस सोशल मीडिया. अगर किसी महिला को कुछ हो जाता तो हम महिलाओं को सड़कों पर शो करते, कपड़े उतारते हुए देखते. क्या आपका नायक कार्यकर्ता, जो अभी भी अपना मुकदमा लड़ रहा है, कहेगा कि बहुत हो गया?

क्या #अतुलसुभाष यह कहकर 'सविनय अवज्ञा' या 'जेल भरो आंदोलन' का आंदोलन चलाएंगे कि हम अपने दुश्मन को खाना नहीं खिला सकते? हम उस पैसे का इस्तेमाल हमारे खिलाफ कर किसी को पैसे नहीं दे सकते? क्या हम उस रिश्ते के लिए जिम्मेदार नहीं हैं जिसकी हमारे प्रति कोई जिम्मेदारी ही नहीं है?

अतुल यह एक गंभीर मामला है कि इतनी बुद्धिमान व्यक्ति को विवाह कानूनों की उलझनों में कैसे फंसाया जा सकता है, जिसके बारे में मैं दावा कर सकता हूं और चुनौती दे सकता हूं कि यहां तक ​​कि जज भी इसे समझने का दावा नहीं कर सकते.

सिर्फ इसलिए कि उनके पास अपने खिलाफ विचार व्यक्त करने वाले किसी भी व्यक्ति पर अवमानना ​​​​जारी करने की शक्ति है, इससे वे सही नहीं हो जाते। केवल तानाशाह.

उच्च समय के लोग. अपने मुकदमे लड़ना बंद करो. "सविनय अवज्ञा" और "जेल भरो आंदोलन" के सामने आत्मसमर्पण कर दें. भुगतान करने से इंकार. एक आदमी बनों.'