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बेंगलुरू की सड़कों पर तलवार लहराने वाले युवाओं को लेकर आया खतरनाक अपडेट

Bangalore News: हाल ही में सोशल मीडिया पर बेंगलुरु का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में कई युवाएं सार्वजनिक स्थान पर चाकू लहराते हुए खतरनाक स्टंट करते हुए दिखाई दे रहे हैं.

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Edited By: Princy Sharma
Dangerous Stunt Trend Rising In Bangalore
Courtesy: Social Media

Dangerous Stunt Trend Rising In Bangalore: हाल ही में सोशल मीडिया पर बेंगलुरु का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में कई युवाएं सार्वजनिक स्थान पर चाकू लहराते हुए खतरनाक स्टंट करते हुए दिखाई दे रहे हैं. यह वीडियो देखकर हर कोई हैरान हैं.  फिलहाल पुलिस ने उन युवाओं को हिरासत में ले लिया है. 

पिछले हफ्ते, कामाक्षीपाल्या पुलिस ने मगदी रोड पर दिनदहाड़े दोपहिया वाहन पर चाकू लहराने और खतरनाक स्टंट करने के आरोप में 19 वर्षीय दो युवकों को गिरफ्तार किया था. पिछले महीने भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था जहां  डीजे हल्ली और उसके आसपास के इलाकों में इसी तरह के स्टंट के लिए 11 युवकों पर मामला दर्ज किया गया था,  जहां वे 13 फरवरी की आधी रात को मोटरसाइकिल पर सवार होकर, स्टंट करते हुए और  सड़क पर हथियार घसीटते हुए तलवारें और माचे दिखाते हुए निकले थे. इससे जुड़ा वीडियो भी सामने आया था. 

ऐसे कई मामले आए सामने 

इसके अलावा, पिछले साल मार्च में एसएसएलसी छात्र ने मामूली कहासुनी के बाद परीक्षा हॉल के बाहर दसवीं कक्षा के तीन छात्रों को चाकू मार दिया. लड़के ने दावा किया कि वह हमेशा अपने स्कूल बैग में एक लंबा चाकू रखता था. शहर के अलग-अलग इलाकों से रिपोर्ट की जा रही ये घटनाएं एक परेशान करने वाली है. पुलिस आरोपियों पर आर्म्स एक्ट समेत कई धाराओं के तहत आरोप लगा रही है. 

एक्सपर्ट की क्या है राय

नाबालिगों को बाल सुधार गृह भेजा जा रहा है, जबकि अडल्ट अपराधियों को केंद्रीय जेल में न्यायिक हिरासत में भेजा जा रहा है. साइकेट्रिस्ट एक्सपर्ट का कहना है, 'जब किशोर बदमाशी, शारीरिक दुर्व्यवहार, जानवरों के साथ क्रूरता, बर्बरता या हथियार रखने जैसे आक्रामक व्यवहार नजरअंदाज करने लायक नहीं होते हैं.  उनका जोखिम उठाना लापरवाह सवारी, कम उम्र में ड्रग्स का  सेवन और अश्लील बातें या जुआ जैसे ऑनलाइन अपराधों तक फैला हुआ है.' 

ऐसे में माता-पिता को बच्चों के खिम भरे व्यवहार के खतरों के बारे में खुलकर बातचीत करनी चाहिए. सीमाएं तय  करना जरूरी है, अगर माता-पिता चिंतित हैं, तो उन्हें स्थानीय क्लीनिक, अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में साइकेट्रिस्ट से बातचीत करें.