बेंगलुरू के अपार्टमेंट में पानी के लिए मचेगा हाहाकार! कोर्ट के किस फैसले से अटकलें तेज
बेंगलुरु की एक अदालत ने अपार्टमेंट मालिकों के संघ को उन मकान मालिकों के लिए पानी की आपूर्ति बंद करने की अनुमति दे दी है, जो रखरखाव शुल्क का भुगतान करने में विफल रहते हैं.

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु की एक अदालत ने हैरान कर देने वाला आदेश दिया है. यहां एक अपार्टमेंट मालिकों की एसोसिएशन को यह आदेश दिया कि अगर कुछ मालिक एक महीने के भीतर मेंटेनेंस शुल्क का भुगतान नहीं करते हैं तो उनकी पानी की आपूर्ति को काट दिया जाए. इस मामले में बेंगलुरु के एक प्रोजेक्ट के कम से कम 14 मालिकों ने अपनी बकाया राशि का भुगतान नहीं किया था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु की एक अदालत ने यह भी माना कि एसोसिएशन को महंगे निजी टैंकरों पर निर्भर होना पड़ा, और यह वित्तीय बोझ अन्य निवासियों पर नहीं डाला जाना चाहिए.
एसोसिएशन की फाइनेंशियल स्थिति पर कोर्ट का आदेश
बेंगलुरु सिटी सिविल और सेशन्स कोर्ट ने चार मालिकों के खिलाफ आदेश जारी किया है. जिन्होंने ₹3.6 लाख, ₹2 लाख, और ₹7.8 लाख के मेंटेनेंस शुल्क का भुगतान नहीं किया था. 26 मार्च को जारी इस आदेश में कहा गया कि इन मालिकों को 30 दिन के भीतर बकाया राशि और जुर्माना अदा करना होगा. इस नए आदेश में कोर्ट ने कहा कि, "यदि वे भुगतान में विफल रहते हैं, तो एसोसिएशन को पानी की आपूर्ति काटने का अधिकार होगा, जब तक कि मालिक बकाया राशि का भुगतान नहीं करते हैं.
क्या पानी की आपूर्ति काटना सही है?
कुछ कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अपार्टमेंट एसोसिएशन को पानी की आपूर्ति काटने का कानूनी अधिकार नहीं है, क्योंकि इसे एक आवश्यक सेवा माना जाता है, जो संविधान द्वारा संरक्षित है.
इस बीच एडवोकेट मंजुनाथ आचारी का कहना है कि हालांकि कई आरडब्ल्यूए (रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन) बिजली और पानी की आपूर्ति को डिफॉल्टरों पर दबाव बनाने के लिए काटते हैं, लेकिन यह कदम कानूनी रूप से सवालों के घेरे में हो सकता है. उन्होंने कहा, "पानी जैसी आवश्यक सेवाओं को मनमाने तरीके से बंद नहीं किया जा सकता, क्योंकि ये संविधान के तहत मौलिक अधिकार हैं.
हाई कोर्ट के फैसले क्या कहते हैं?
कई कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई फैसलों में पानी और बिजली को आवश्यक सेवाएं माना गया है. उदाहरण के लिए, 2010 में मद्रास हाई कोर्ट ने Cosmo Towers Owners’ Association vs. Chennai Metropolitan Water Supply and Sewerage Board मामले में कहा था कि पानी की आपूर्ति को काटना किसी निवासी के सामान्य सुविधाओं तक पहुंचने के अधिकार में हस्तक्षेप करता है.
हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि एसोसिएशन के पास बकाया राशि की वसूली के लिए कानूनी कदम उठाने का अधिकार है, लेकिन वे पानी जैसी आवश्यक सेवाओं को नहीं काट सकते.