Jharkhand Government: झारखंड सरकार ने गुरुवार को किसानों के लिए कृषि ऋण माफी की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी और उसी दिन करीब 1.77 लाख किसानों को इसका लाभ मिला. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि किसान देश की रीढ़ हैं. वे खाद्यान्न उत्पादन के लिए वित्तीय बाधाओं और मौसम की मार से जूझते हैं.
हेमंत सोरेन ने कहा कि हम 'अन्नदाताओं' की मदद के लिए काम कर रहे हैं. सरकार ने राज्य के स्वामित्व वाली मेधा डेयरी के लिए एनडीडीबी के साथ अगले पांच वर्षों के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए.
हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन ने 2019 के चुनावों से पहले 2 लाख रुपये के कृषि ऋण माफी का वादा किया था, लेकिन सरकार ने 50,000 रुपये की छूट लागू की.
उधर, भाजपा ने बढ़ी हुई ऋण माफी को जुमला करार दिया है। भाजपा प्रवक्ता अजय साह ने कहा कि हेमंत सरकार अपने वादे पूरे करने में विफल रही। पिछले पांच वर्षों में कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है. अब जब यह अपने कार्यकाल के अंत के करीब है, तो सरकार चुनावों में पीछे हटने के डर से जल्दबाजी में निर्णय ले रही है.
वहीं, सीएम ने केंद्र पर किसानों के खिलाफ "साजिश" करने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा. उन्होंने कहा कि उनके (भाजपा) पास किसानों की आय दोगुनी करने या एमएसपी बढ़ाने के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन उनके पास व्यवसायिक ऋण माफ करने के लिए धन है.
हेमंत सोरेन ने एक एक्स पोस्ट में लिखा कि आज रांची में झारखण्ड के हमारे लगभग 1.76 लाख मेहनती किसानों का ₹2 लाख तक कृषि ऋण माफ करने का सौभाग्य मिला. हमारे किसान सशक्त होंगे तो हमारी ग्रामीण व्यवस्था भी मजबूत होगी.
उन्होंने कहा कि आज यहां रांची में यह ऋण माफी जुटान नहीं है बल्कि किसानों के सम्मान का महा जुटान है. आज किसानों के ऋण माफी के लिए हम सब एकत्रित हुए हैं.
हमारे राज्य में 80% लोग गांव-देहात में निवास करते हैं, जो खेती-बाड़ी से जुड़े हुए हैं. इसी पर इनका जीवन यापन भी होता है. किसानों के पास बोरा में भरकर पैसा नहीं है, बैंक बैलेंस नहीं है, कोई एटीएम कार्ड भी नहीं है. बड़ी मुश्किल से बैंक खाता खुलता भी है तो उस खाते में पैसा मेहनत-मजदूरी करके जमा करने का प्रयास किसानों का रहता है.
इसलिए मैं कहता हूं, हमारे किसानों का बैंक खेत होता है और किसानों का एटीएम उनका खलिहान होता है.लेकिन इस देश में ऐसे भी लोग हैं जिनके पास ना खेत है, ना पानी है, और न चापाकल है, सिंचाई का कोई साधन भी नहीं है.
लेकिन आज पूंजीपतियों के पास बैंकों में पैसा जमा पड़ा है. चंद लोगों के पास इतना पैसा है कि देश के सवा सौ करोड़ लोग उस पैसा को गिनने में जुट जाएं तो उनकी उम्र खत्म हो जाएगी, लेकिन पैसे की गिनती समाप्त नहीं होगी.
वह पैसा कहां से आया? वह पैसा इस देश के गरीब, किसान, मजदूर लोगों का पैसा है.