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Jharkhand Assembly Election: JMM खुद को कहती है आदिवासियों की पार्टी, अबुआ योजना का भ्रष्टाचार देखकर उड़ जाएंगे होश

कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि राज्य के आदिवासियों को सरकारी सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. उन्हें इसे हासिल करने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है. आदिवासियों को मकान दिलाने के लिए ऐसे ही योजना का नाम है अबुआ आवास योजना. ये योजना जमीनी स्तर पर काम नहीं कर रही है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Hemant Soren

Jharkhand Assembly Election: झारखंड में विधानसभा चुनाव की वोटिंग को दो दिन बचे हैं. इस समय सत्ता में हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली महागठबंधन की सरकार है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं. उनकी पार्टी खुद को आदिवासियों का झंडाबरदार कहती है. एक बार फिर से वो आदिवासियों के अधिकार और उनके कल्याण को लेकर चुनावी रण में उतरी है. लेकिन उनके इस दावे पर विपक्षी दल बीजेपी लगातार सवाल उठाती है. 

कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि राज्य के आदिवासियों को सरकारी सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. उन्हें इसे हासिल करने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है. आदिवासियों को मकान दिलाने के लिए ऐसे ही योजना का नाम है अबुआ आवास योजना. ये योजना जमीनी स्तर पर काम नहीं कर रही है. इसमें जमकर भ्रष्टाचार है. बीजेपी ने भी इस योजना को लेकर हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी पर हमला बोला है. 

झारखंड में विधानसभा चुनाव की वोटिंग को दो दिन बचे हैं. इस समय सत्ता में हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली महागठबंधन की सरकार है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं. उनकी पार्टी खुद को आदिवासियों का झंडाबरदार कहती है. एक बार फिर से वो आदिवासियों के अधिकार और उनके कल्याण को लेकर चुनावी रण में उतरी है लेकिन उनके इस दावे पर विपक्षी दल बीजेपी लगातार सवाल उठाती है. 

कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि राज्य के आदिवासियों को सरकारी सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. उन्हें इसे हासिल करने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है. आदिवासियों को मकान दिलाने के लिए ऐसी ही योजना का नाम है अबुआ आवास योजना. ये योजना जमीनी स्तर पर काम नहीं कर रही है. इसमें जमकर भ्रष्टाचार है. बीजेपी ने भी इस योजना को लेकर हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी पर हमला बोला है.

अबुआ नहीं बाबू आवास योजना
झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के सह-प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि 'अबुआ आवास योजना' 'बाबू आवास योजना' बन गई है. जब तक घूस नहीं देंगे तब तक कमान नहीं मिलेगा.

अबुआ आवास योजना की जमीनी हकीकत
यह योजना 15 अगस्त 2023 में शुरू की गई थी. उस दौरान हेमंत सोरेन ने वादा किया था कि हम 25 लाख से अधिक झारखंडवासियों को इस योजना के तहत पक्का मकान देंगे. योजना के तहत झारखंड के गरीब तबके को 2 लाख रुपए में 3 कमरों वाला पक्का मकान देने का वादा किया गया था.

आलम ये है कि इस योजना का लाभ लेने के लिए लोगों को सरकारी बाबुओं को घूस खिलानी पड़ रही है. यही नहीं सोशल मीडिया पर प्रसारित कई ऐसे वीडियो हैं जिनमें दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली पीएम आवास योजना के लिए भी उन्हें रिश्वत देनी पड़ रही है.

अब तक कितने घर बने
अबुआ आवास योजना के तहत अब तक कितने घर बने हैं. आधिकारिक वेबसाइट पर भी इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है. वेबसाइट पर लिखा है कि राज्य सरकार 2026 तक सभी बेघर और जीर्ण-शीर्ण घरों में रहने वाले ग्रामीण परिवारों को बुनियादी सुविधाओं सहित पक्का आवास उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. साल 2016 में पीएम आवास योजना के तहत करीब 16 लाख और बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर आवास योजना के तहत 50 हजार आवास बनाए गए हैं.

नाम ना छापने की शर्त पर कई आदिवासी परिवारों का कहना है कि उन्हें योजना का लाभ लेने के लिए लंबी नौकरशाही प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ रहा है, कइयों का आरोप है कि आवास की स्वीकृति लेने के लिए उन्हें रिश्वत देनी पड़ ही है.

आदिवासियों के साथ धोखा कर रही सोरेन सरकार
सोरेन सरकार ने आदिवासियों के लिए कई घोषणाएं की थीं लेकिन इन घोषणाओं को लागू करने में सरकार नाकाम रही हैं. यह न केवल गंभीर प्रशासनिक विफलता है बल्कि यह आदिवासी समाज के साथ धोखे के बराबर है.

आदिवासियों में बढ़ रहा असंतोष
झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ लगातार असंतोष बढ़ रहा है. ना तो उनकी मांगें पूरी हो रही हैं और न ही उनकी समस्याओं का समाधान हो रहा है. सरकार उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर रही है. अबुआ आवास योजना, भूमि अधिग्रहण, रोजगार के अवसर और अन्य योजनाओं के तहत आदिवासियों की स्थिति क्या है? इस बार के झारखंड के चुनाव में जनता इन सवालों के जवाब देगी. झारखंड चुनाव के नतीजे बताएं कि JMM ने वहां की जनता के लिए क्या किया है.