Year Ender Politics 2024: कभी किंगमेकर रहे दुष्यंत चौटाला का 'सबकुछ हुआ तबाह', JJP के राजनीतिक भविष्य पर भी छा गया अंधेरा

साल 2024 के चुनाव में जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला को अपने पारंपरिक गढ़ उचाना कलां से हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में अब पार्टी के भविष्य पर सवाल खड़े हो रहे हैं. बीजेपी और जेजेपी के गठबंधन टूटने के बाद जेजेपी का ग्राफ तेजी से गिर गया. 

@Dchautala X account
Kamal Kumar Mishra

Year Ender Politics 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव रिजल्ट के बाद बीजेपी ने तीसरी बार प्रदेश की सत्ता पर कब्जा जमा लिया है. दूसरी तरफ जननायक जनता पार्टी (JJP) को करारी हार का सामना करना पड़ा है. JJP को एक समय 'किंगमेकर' की भूमिका निभाने वाला माना जाता था, लेकिन साल 2024 में पार्टी को चुनावी पतन से जूझना पड़ा. 

साल 2019 में जब जेजेपी ने बीजेपी से गठबंधन कर सत्ता में भागीदारी ली थी, तो उसे 90 में से 10 सीटें मिली थीं. लेकिन इस बार जेजेपी को कोई खास सफलता नहीं मिल पाई और पार्टी के कई उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई. विशेष रूप से, दुष्यंत चौटाला की उचाना कलां सीट पर हार और पार्टी के अन्य उम्मीदवारों का चुनावी प्रदर्शन बेहद खराब रहा.

बीजेपी और जेजेपी के रास्ते हुए अलग

बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन 2019 में हुआ था, जब बीजेपी को केवल 40 सीटें मिली थीं और वह साधारण बहुमत से चूक गई थी. जेजेपी ने उस समय बीजेपी के साथ गठबंधन कर सत्ता में हिस्सेदारी पाई थी. लेकिन 2024 में दोनों पार्टियों के रास्ते अलग हो गए. बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद पर बदलाव किया और मनोहर लाल की जगह नायब सिंह सैनी को सरकार का प्रमुख बना दिया, जो पार्टी के लिए लाभकारी साबित हुआ. जेजेपी के लिए यह ब्रेकअप काफी नुकसानदेह साबित हुआ.

आजाद पार्टी भी नहीं कर पाई कमाल

जेजेपी के उम्मीदवारों की हार के साथ-साथ पार्टी का गठबंधन आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ भी किसी प्रभावी परिणाम में नहीं बदल सका. पार्टी के कई विधायक कांग्रेस और बीजेपी में शामिल हो गए, जिससे दुष्यंत चौटाला की स्थिति और कमजोर हो गई.

दुष्यंत चौटाला की सारी भविष्यवाणी हुई फेल

दुष्यंत चौटाला ने चुनाव से पहले यह अनुमान जताया था कि कोई भी पार्टी 40 सीटों का आंकड़ा नहीं छू पाएगी, लेकिन उनका यह दावा गलत साबित हुआ. उन्होंने यह भी कहा था कि उनके बिना राज्य में सरकार नहीं बनेगी, लेकिन यह भविष्यवाणी भी सही नहीं निकली. उनकी यह हार जेजेपी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई हुई और अब पार्टी के भविष्य पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं.