हरियाणा में एक बार फिर से कमल खिल गया है. यहां बीजेपी को जीत मिली है. इस बीच 90 विधानसभा सीटों में से एक चरखी दादरी विधानसभा क्षेत्र एक बार बहुत चर्चे में है. दरअसल सांगवान उस जेल के अधीक्षक थे जहां डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह बंद थे. जहां डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बलात्कार और हत्या के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद 2017 में रखा गया था. हालांकि सुनील सांगवान चुनाव से ठीक पहले वह पद से सेवानिवृत्त हुए और भाजपा में शामिल हो गए.
उल्लेखनीय है कि कैदी के बारे में पैरोल बोर्ड को रिपोर्ट करना और उसकी पुष्टि करना जेल अधीक्षक का काम है. कैदी के व्यवहार और अन्य कारकों के आधार पर, जेल अधीक्षक पैरोल आवेदन का समर्थन या विरोध करते हुए सिफारिश कर सकता है. हालांकि सांगवान ने अपने अभियान के दौरान स्पष्ट किया कि तीन मौकों पर उन्होंने डेरा प्रमुख की आपातकालीन पैरोल की याचिका को खारिज कर दिया था. उन्होंने सितंबर में अपना नामांकन पत्र दाखिल करने से ठीक पहले जेल अधीक्षक के पद से इस्तीफा दे दिया और हरियाणा की राजनीति में प्रवेश करने के उद्देश्य से भाजपा में शामिल हो गए.
डेरा प्रमुख को पिछले सात सालों में 15 बार पैरोल दी गई है और वह 259 दिन जेल से बाहर रह चुका है. दिलचस्प बात यह है कि उसे मिलने वाले पैरोल विधानसभा, लोकसभा या पंचायत चुनावों के समय ही मिले हैं.
बता दें कि सुनील सांगवान ने इस चुनाव में कांग्रेस की मनीषा सांगवान को 1,957 वोटों से हराया है. सुनील के पिता सतपाल सांगवान कांग्रेस के सदस्य थे लेकिन जुलाई में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए