हरियाणा के ‘लाल’ ओमप्रकाश चौटाला का ऐसा था कद और रसूख, CM को झुकना पड़ा, तीन बार कराने पड़े थे चुनाव
महम उपचुनाव का इतिहास आज भी हरियाणा की राजनीति में गहरे धरोहर के रूप में जिंदा है. इस चुनाव ने न केवल महम चौबीसी खाप की शक्ति को उजागर किया, बल्कि एक नई राजनीतिक चेतना को भी जन्म दिया. यह चुनाव एक ऐसी गवाही है, जहां सत्ता के लिए संघर्ष ने खून-खराबे की हदें पार की थीं.
Khap Panchayat: हरियाणा के रोहतक जिले का महम कस्बा अपनी ऐतिहासिक महक के लिए जाना जाता है. यहां की महम चौबीसी खाप ने हरियाणा की राजनीति को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया था. यह खाप न केवल ग्रामीण जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि इसने एक समय हरियाणा के प्रमुख नेताओं के फैसलों को भी प्रभावित किया. दरअसल, 34 साल पहले, 1990 के महम विधानसभा उपचुनाव के दौरान, महम चौबीसी ने राजनीति की धारा को पूरी तरह से बदल दिया था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1990 में, जब दिल्ली की सत्ता पर विश्वनाथ प्रताप सिंह का कब्जा था, तब हरियाणा के चौधरी देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने थे. उस दौरान उन्हें हरियाणा की मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. देवीलाल ने अपनी जिम्मेदारी अपने बेटे ओम प्रकाश चौटाला को सौंपी. ओम प्रकाश को महम सीट से विधायक बनना था, जिसे उनके पिता देवीलाल के सांसद बनने के बाद खाली किया गया था. इस उपचुनाव ने राजनीतिक संघर्ष की एक नई दिशा तय की.
महम चौबीसी का समर्थन और आनंद सिंह दांगी
महम चौबीसी खाप ने इस उपचुनाव में आनंद सिंह दांगी को अपना समर्थन दिया. दांगी, जो देवीलाल के काफी करीबी माने जाते थे, उनको खाप से आशीर्वाद मिला. दांगी ने बताया, "महम चौबीसी के चबूतरे पर अंग्रेजों ने कई स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी थी. यहां से लिया गया फैसला सभी खापों को मान्य होता है. यही कारण था कि महम के चबूतरे पर दीया जलाकर ही नेता नामांकन दाखिल करने जाते थे, और खाप के फैसले को सभी ने सम्मान दिया था.
देवीलाल और दांगी के बीच शुरु हुआ टकराव
देवीलाल और आनंद सिंह दांगी के बीच का यह संघर्ष राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था. जब दांगी और ओम प्रकाश चौटाला के बीच अनबन शुरु हुई, तो महम चौबीसी ने दांगी का समर्थन किया. देवीलाल ने महम चौबीसी के फैसले को खारिज करते हुए कहा, "मैं इसे पंचायत नहीं मानता हूं. इस पर महम चौबीसी और उनका समर्थन करने वाला समाज देवीलाल के खिलाफ खड़ा हो गया. इस स्थिति ने महम उपचुनाव को एक ऐतिहासिक और रक्तरंजित संघर्ष बना दिया.
चौधरी देवीलाल को पहला झटका
महम के उपचुनाव में हालात तेजी से बदल रहे थे. ऐसे में चौधरी देवीलाल को इसका एहसास नहीं हुआ था. आनंद सिंह दांगी ने बताया, "यह तब था जब महम के लोगों ने देवीलाल के हेलिकॉप्टर को उतरने की अनुमति नहीं दी. यह पहला संकेत था कि देवीलाल की ताकत अब महम में नहीं रही. इस उपचुनाव में ओम प्रकाश चौटाला, जो उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, चुनावी मैदान में थे, लेकिन महम के लोगों का समर्थन दांगी के पक्ष में जाता दिखा.
वोटिंग के दिन हुईं जमकर हिंसा और धांधली
आनंद दांगी ने आगे बताया, "चौटाला को यह अहसास हो गया था कि वह हारने वाले हैं, इसलिए उन्होंने बूथ कैप्चरिंग, धांधली और पुलिस फोर्स के साथ मिलकर वोटिंग के दिन दंगा-फसाद करवा दिया. चुनाव आयोग ने रिपोर्ट के बाद उपचुनाव को रद्द कर दिया और फिर से चुनाव हुआ. इस बार, अमीर सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सामने आए, जिनका नामांकन ओम प्रकाश चौटाला ने पर्दे के पीछे से कराया था. लेकिन दांगी को जब महम के लोगों का जोरदार समर्थन मिला, तो यह साफ हो गया कि चौटाला हारने वाले थे.
चुनाव के दौरान अमीर सिंह की संदिग्ध मौत
उपचुनाव के दौरान एक और सनसनीखेज घटना हुई. इस दौरान उपचुनाव लड़ रहे "अमीर सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. वह ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अजय चौटाला और एसपी करतार सिंह तोमर के साथ थे. अगले दिन, पुलिस ने हत्या की एफआईआर दांगी के खिलाफ दर्ज की, जिससे स्थिति और बिगड़ गई. इसके बाद पुलिस ने दांगी के घर पर फायरिंग की, जिसमें दो लड़कियों समेत तीन लोगों की मौत हो गई.
फायरिंग, मौत और दाह संस्कार के बीच राजीव गांधी का संदेश
महम उपचुनाव में हिंसा की जो स्थिति बनी, उसे दांगी ने कहा, "मुझसे कहा गया कि मृतकों के दाह संस्कार में न जाऊं, लेकिन इसके बाद पुलिसवाले मुझे गिरफ्तार करने के लिए आए और छत से फायर कर दिया. मैं किसी तरह अपनी जान बचाकर भागा. महम में इस दौरान 1.5 घंटे तक फायरिंग होती रही और कई लोग मारे गए. यह उपचुनाव महम में हिंसा, रक्तपात और राजनीतिक प्रतिशोध की कहानी बन गया.
इस पूरी हिंसा के बीच, दांगी को राजीव गांधी का संदेश मिला. राजीव गांधी ने मुझसे कहा कि मुझसे मिलने के लिए आओ. इस संदेश ने दांगी को राहत दी, लेकिन महम की सड़कों पर उथल-पुथल और मौतों के बीच यह चुनाव हरियाणा की राजनीति में एक काला अध्याय बन गया.