Haryana Polls: हरियाणा की सीनियर नेता किरण चौधरी के कांग्रेस पार्टी से चार दशक से अधिक पुराना नाता तोड़कर सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने के तीन महीने बाद, ऐसा लगता है कि भाजपा अब एक अन्य सीनियर कांग्रेसी और प्रमुख दलित नेता कुमारी शैलजा को अपने पाले में लाने का लक्ष्य बना रही है.
हरियाणा में पांच अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के प्रचार अभियान से उनकी अनुपस्थिति का हवाला देते हुए राज्य के सीनियर भाजपा नेताओं ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव और सिरसा की सांसद शैलजा के प्रति किए गए अनादर को लेकर पुरानी पार्टी पर निशाना साधा है.
शनिवार को केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शैलजा को भाजपा में शामिल होने का न्योता भी दिया.
कांग्रेस के प्रमुख कार्यक्रमों से शैलजा की अनुपस्थिति और उनकी चुप्पी ने उनके अगले कदम के बारे में अटकलों को जन्म दे दिया है. शैलजा का आखिरी प्रचार कार्यक्रम 11 सितंबर को नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की उम्मीदवार शैली चौधरी और असंध से पार्टी के उम्मीदवार शमशेर सिंह गोगी के समर्थन में था.
शैलजा पिछले 10 दिनों से दिल्ली में अपने आवास पर ही हैं और अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिल रही हैं. लेकिन, हरियाणा चुनाव के लिए प्रचार चरम पर होने के कारण उनकी अनुपस्थिति स्पष्ट रूप से देखी जा रही है. उन्होंने अभी तक अपने करीबी सहयोगियों के लिए भी प्रचार नहीं किया है.
18 सितंबर को जब कांग्रेस ने दिल्ली में AICC मुख्यालय में हरियाणा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया, तो शैलजा इस कार्यक्रम से अनुपस्थित रहीं. सूत्रों ने बताया कि उन्हें AICC मुख्यालय से किए गए एक रूटीन कॉल के ज़रिए समारोह में शामिल होने के लिए कहा गया था और किसी भी सीनियर नेता ने उन्हें औपचारिक रूप से कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया था.
हरियाणा चुनाव प्रचार से अपनी अनुपस्थिति पर शैलजा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि समय आने पर हम चर्चा करेंगे. मैं दिल्ली में हूं और अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिल रही हूं. बाकी बातें हम बाद में करेंगे. उनके करीबी सहयोगियों ने बताया कि शैलजा के अगले सप्ताह से चुनाव प्रचार के लिए हरियाणा वापस आने की उम्मीद है.
शुक्रवार को घरौंदा में एक रैली में खट्टर ने कहा कि वहां (कांग्रेस में) बहुत ज्यादा अंदरूनी कलह है और उनके सीएम चेहरे के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है. हमारी दलित बहन (शैलजा) घर पर बैठी हैं. आज लोगों का एक बड़ा वर्ग इस बारे में सोच रहा है कि उन्हें क्या करना चाहिए. बहुत से लोग उनसे नाराज थे और हम उन्हें भाजपा में ले आए. हम प्रस्ताव के साथ तैयार हैं और अगर वह (शैलजा) आती हैं, तो हम उन्हें शामिल करने के लिए तैयार हैं.
रैली के बाद मीडिया से बात करते हुए खट्टर ने कहा कि ये संभावनाओं की दुनिया है और संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. सही समय आने पर सब पता चल जाएगा.
राज्य कांग्रेस के दिग्गज नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र हुड्डा पर कटाक्ष करते हुए खट्टर ने कहा कि पिता और पुत्र के बीच भी लड़ाई है. पिता (भूपेंद्र हुड्डा) कहते हैं कि वे सीएम बनेंगे, जबकि बेटा (रोहतक के सांसद दीपेंद्र) कहता है कि वे अगले सीएम होंगे. कई अन्य लोग भी हैं जो (कांग्रेस में) सीएम बनने की इच्छा रखते हैं.
शैलजा को भूपेंद्र हुड्डा का प्रमुख विरोधी माना जाता है.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल भी उन भाजपा नेताओं में शामिल थे जिन्होंने इस विवाद को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला. उन्होंने शनिवार को कहा कि दलितों का अपमान करना कांग्रेस की परंपरा है. भूपेंद्र हुड्डा के समर्थकों ने जिस तरह से शैलजा का अपमान किया, उसे हरियाणा कभी नहीं भूलेगा और कांग्रेस को इसके परिणाम भुगतने होंगे.
पिछले हफ़्ते दीपेंद्र के करीबी माने जाने वाले कांग्रेस के नारनौंद उम्मीदवार जस्सी पेटवार के समर्थक ने शैलजा के खिलाफ जातिवादी टिप्पणी की थी, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी. इस घटना के बाद भूपेंद्र हुड्डा समेत हरियाणा कांग्रेस नेतृत्व ने कड़ी निंदा की थी.
सोशल मीडिया पर भी शैलजा लगभग चुप रही हैं. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के साथ उनकी एक तस्वीर एक्स पर उनकी पिन की गई पोस्ट बनी हुई है, लेकिन उन्होंने इस सप्ताह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर केवल छह पोस्ट किए हैं. शनिवार को एक पोस्ट में, उन्होंने कांग्रेस के कालका उम्मीदवार प्रदीप चौधरी के काफिले पर कथित गोलीबारी की निंदा की, जिसमें उनके दो समर्थक गोली लगने से घायल हो गए. उन्होंने बुधवार को कांग्रेस के सात घोषणापत्र गारंटियों के बारे में भी पोस्ट किया और गुरुवार को बिहार में दलित परिवारों पर हमले की निंदा की, इसके अलावा विभिन्न धार्मिक त्योहारों पर कुछ बयान भी दिए.
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि शैलजा पार्टी हाईकमान द्वारा पूर्व सीएम हुड्डा को टिकट बंटवारे में खुली छूट दिए जाने के फैसले से नाराज हैं. पार्टी ने कथित तौर पर 90 सीटों में से 72 सीटों पर हुड्डा की पसंद के उम्मीदवार घोषित किए हैं.
शैलजा और एआईसीसी महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने पार्टी नेतृत्व को अपने उम्मीदवारों के चयन से अवगत करा दिया था. लेकिन, पार्टी नेतृत्व ने हुड्डा के चयन को ही स्वीकार किया. शैलजा के प्रचार अभियान से गायब रहने से कांग्रेस के एक वर्ग में चिंता की स्थिति पैदा हो गई है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि शैलजा हमारी पार्टी की सीनियर नेता हैं.
हरियाणा में 90 में से 17 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटें हैं. इनमें से अधिकांश सीटों पर शैलजा का अच्छा नियंत्रण है और सिरसा, फतेहाबाद, हिसार और अंबाला जिलों की अन्य सीटों पर भी उनकी पकड़ है. अगर वह वास्तव में किसी बात से नाराज हैं, तो हाईकमान को इस पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें हरियाणा में प्रचार अभियान में वापस लाना चाहिए.