menu-icon
India Daily

सीएम बनते ही सैनी सरकार ने आरक्षण पर लिया बड़ा फैसला, भड़कीं BSP सुप्रीमो

हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है जिसमें अनुसूचित जाति के अंतर्गत सब-कैटिगरी बनाने की बात शामिल है. यह जानकारी सैनी ने सीएम बनने के बाद अपनी पहली कैबिनेट की मीटिंग में दी है.

auth-image
Edited By: Khushboo Chaudhary
Nayab Saini
Courtesy: Social Media

नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली हरियाणा मंत्रिमंडल ने अपनी पहली बैठक में घोषणा की कि राज्य सरकार अनुसूचित जातियों (एससी) के उप-वर्गीकरण पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू करेगी. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद देश में पहली बार उठाया गया यह कदम राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दलित पहुंच को और मजबूत करने के लिए है, जिसने सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अनुसूचित जातियों के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया है.

दरअसल विधानसभा चुनावों से ठीक पहले और अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त के फैसले के एक पखवाड़े बाद सैनी सरकार ने हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी थी. इसमें आयोग ने राज्य सरकार की नौकरियों में 'वंचित अनुसूचित जातियों' के लिए 10 प्रतिशत उप-कोटा की सिफारिश की थी. इस फैसले की घोषणा आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद की गई थी.

अनुसूचित जाति में सब-कैटिगरी बनाने का आदेश लागू

सीएम सैनी ने कैबिनेट की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने बताया कि 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सम्मान देते हुए अनुसूचित जाति में वर्गीकरण का जो आदेश था. उसे आज से ही हमने लागू करने का फैसला किया है.'

दलितों ने किया कांग्रेस का समर्थन

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2024 के लोकसभा चुनावों में एससी-आरक्षित दोनों सीटें- सिरसा और अंबाला हारने के बाद और इसके आकलन से पता चला कि दलितों ने कांग्रेस का समर्थन किया, जिसने 10 लोकसभा सीटों में से आधी सीटें जीतीं, सैनी सरकार ने विधानसभा चुनावों से पहले कल्याणकारी योजनाओं के साथ राज्य के एससी तक पहुंच बनाई. हरियाणा में भाजपा का ध्यान एससी के बीच गैर-प्रमुख जातियों, या 'वंचित एससी', जैसे वाल्मीकि और धानक को खुश करने पर था. 

विधानसभा चुनाव में बीजेपी को किसका साथ मिला

सीएसडीएस-लोकनीति के चुनाव-पश्चात अध्ययन के अनुसार, 2024 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को अधिकांश जाटवों का समर्थन मिला, जबकि भाजपा को 'अन्य' या 'वंचित' एससी से वोट मिले. सीएसडीएस के आंकड़ों के अनुसार, 50 प्रतिशत जाटों ने कांग्रेस को और 35 प्रतिशत ने भाजपा को वोट दिय. 'अन्य एससी' में से 45 प्रतिशत ने भाजपा को और 33 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट दिया. बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना ​​है कि 'वंचित एससी' के समर्थन ने अंतर की तस्वीर साफ कर दी, जिसके कारण पार्टी को 39.94 प्रतिशत वोट मिले, जिससे यह साफ होता है कि उसने कांग्रेस के 39.09 प्रतिशत वोट शेयर और 37 सीटों के मुकाबले 48 सीटें जीतीं. भाजपा ने एससी के लिए आरक्षित 17 सीटों में से आठ सीटें जीतीं, जो 2019 में पांच से अधिक थी. 

भाजपा सरकार का तर्क

वहीं पिछली भाजपा सरकार ने तर्क दिया था कि राज्य में आरक्षण का लाभ मुख्य रूप से जाटों को मिला है. साल 2020 में, हरियाणा सरकार ने सरकारी शिक्षण संस्थानों में 20 प्रतिशत कोटे के भीतर 'वंचित एससी' के लिए उप-कोटा बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने के लिए एक विधेयक पेश किया था. इसने प्रमुख जिलों को छोड़कर 36 एससी जातियों को 'वंचित एससी' के रूप में पहचाना था.


'वंचित अनुसूचित जातियों' की हिस्सेदारी 6 प्रतिशत से भी कम

इस विधेयक में कहा गया है कि राज्य सरकार की नौकरियों में 'वंचित अनुसूचित जातियों' की हिस्सेदारी 6 प्रतिशत से भी कम है, 'भले ही उनकी आबादी राज्य की कुल आबादी का लगभग 11 प्रतिशत है.' इसमें 2011 की जनगणना का हवाला दिया गया है, जिसमें पाया गया कि 46.75 प्रतिशत 'वंचित अनुसूचित जातियों' निरक्षर हैं, और कहा गया है कि उनका सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन उन्हें नागरिकों का एक अलग वर्ग बनाता है जो प्रमुख अनुसूचित जातियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं.

हरियाणा की कुल आबादी

2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा की कुल आबादी में अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 20.2 प्रतिशत है. हरियाणा की अनुसूचित जाति की आबादी में जाटव सबसे महत्वपूर्ण हैं और अनुमान है कि उनकी संख्या लगभग 50 प्रतिशत है, इसके बाद वाल्मीकि (25-30 प्रतिशत), धानक (10 प्रतिशत) और बाकी 34 छोटे अनुसूचित जाति समूह हैं. 1994 में हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जातियों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया और कोटे को बराबर हिस्सों में विभाजित किया था. 2006 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 1994 की अधिसूचना को रद्द कर दिया. हालांकि, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपने 1 अगस्त के फैसले में राज्यों को इन समुदायों के भीतर अधिक वंचित जातियों के उत्थान के लिए एससी कोटे के भीतर उप-वर्गीकरण करने का अधिकार दिया. पीठ ने जोर देकर कहा कि उप-वर्गीकरण को 'राज्यों द्वारा मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य डेटा द्वारा उचित ठहराया जाना चाहिए, जो अपनी मर्जी से काम नहीं कर सकते हैं.'

सैनी के फैसले पर मायावती ने क्या कहा?

वहीं सैनी के इस फैसले के बाद बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि हरियाणा मंत्रिमंडल का फैसला दलितों को विभाजित करने और आरक्षण को 'अप्रभावी' बनाने की 'साजिश' है.