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जनता की उंगली में हरियाणा का फैसला, यहां जानें हर सवाल का जवाब; समझें पूरा गणित

Haryana Assembly Election: हरियाणा के जनता का इंतजार अब खत्म होने जा रहा है. उम्मीद है कि इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प और प्रतिस्पर्धी होने वाला है. इसके लिए सभी पार्टियों ने अपने हिस्से का काम कर लिया है. चुनाव आयोग ने भी अपनी तैयार कर ली है. वहीं जनता ने भी मूड तय कर लिया है. अब वोटिंग की बारी है. आइये इससे पहले जानते हैं आपके हर संभावित सवाल की जवाब.

Haryana Assembly Election Voting
Courtesy: India Daily Live

Haryana Assembly Election: हरियाणा में विधानसभा चुनाव का प्रचार गुरुवार को समाप्त हो गया और अब सभी की नजरें शनिवार को होने वाले मतदान पर टिकी हैं. राज्य की 90 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में वोटिंग होगी, जहां 1031 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा. बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रही है, जबकि कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए जोर लगा रही है. इस बार जेजेपी-आसपा गठबंधन, बसपा-इनेलो और आम आदमी पार्टी भी किंगमेकर बनने की उम्मीद में मैदान में हैं.

चुनाव आयोग ने हरियाणा की सभी सीटों पर चुनाव के लिए 20,629 मतदान केंद्रों की व्यवस्था की है. 2.03 करोड़ से ज्यादा मतदाता 930 पुरुष और 101 महिला उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. कुल मतदाताओं में 1.07 करोड़ पुरुष, 95.77 लाख महिलाएं और 467 ट्रांसजेंडर शामिल हैं.

प्रमुख पार्टियों की रणनीति

कांग्रेस ने 89 सीटों पर और उसके सहयोगी दल सीपीआई (एम) ने एक सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. बीजेपी 89 सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है. जेजेपी-आसपा गठबंधन में 66 सीटों पर जेजेपी और 12 पर आसपा के प्रत्याशी मैदान में हैं. बसपा-इनेलो गठबंधन के तहत 51 सीटों पर इनेलो और 35 सीटों पर बसपा उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि आम आदमी पार्टी ने 88 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं.

2019 चुनाव के आंकड़े

2019 में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली थी. बीजेपी ने 40 सीटों पर, कांग्रेस ने 31, जेजेपी ने 10 और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 7 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार 25 सीटों पर कड़ा मुकाबला हो सकता है, जहां 2019 में जीत का अंतर पांच हजार से कम था.

इस बार के समीकरण

इस चुनाव में छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों की मौजूदगी से वोटों में बिखराव की संभावना है. सिरसा जैसे क्षेत्रों में पिछली बार हार-जीत का अंतर बहुत कम था, जहां बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सभी ने मजबूती से चुनाव लड़ा था. इस बार आम आदमी पार्टी और बसपा-इनेलो भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में हैं.

क्षेत्रीय प्रभाव का राजनीतिक परिदृश्य

हरियाणा का राजनीतिक परिदृश्य अलग-अलग क्षेत्रों में अलग दिख रहा है. जाटलैंड और पश्चिमी हरियाणा में कांग्रेस मजबूत मानी जा रही है, जबकि जीटी रोड बेल्ट और दक्षिण हरियाणा बीजेपी के लिए अहम साबित हो सकते हैं. कांग्रेस की कोशिश है कि वह बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाए, ताकि सत्ता समीकरण बदल सके.

बीजेपी की रणनीति

बीजेपी की नजर जीटी रोड बेल्ट और दक्षिण हरियाणा की सीटों पर है, जो पिछले चुनावों में उसकी जीत के अहम आधार रहे थे. जीटी रोड बेल्ट में पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, करनाल और पानीपत जैसे जिलों की 27 सीटें शामिल हैं. 2019 में यहां से बीजेपी ने 14 सीटें जीती थीं.

कांग्रेस के लिए चुनौती

कांग्रेस जाटलैंड में अपना किला बचाने और बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है. जाटलैंड में रोहतक, सोनीपत, झज्जर जैसे जिलों की 25 सीटें हैं. 2019 में कांग्रेस ने यहां 12 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी ने 7 सीटें हासिल की थीं.

अंतिम परिणाम की उम्मीद

बीजेपी और कांग्रेस दोनों की नजरें सत्ता पर हैं, लेकिन इस बार निर्दलीय और छोटी पार्टियों का भी महत्वपूर्ण रोल हो सकता है. कांग्रेस को जाट और दलित वोटों का समर्थन मिल रहा है, जबकि बीजेपी अपने दक्षिण हरियाणा और जीटी रोड बेल्ट पर भरोसा कर रही है.