हरियाणा: पटौदी के पूर्व विधायक रामबीर सिंह ने कांग्रेस का साथ छोड़ा, सियासी गलियारों में हलचल तेज
हरियाणा के पटौदी विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक रामबीर सिंह ने शनिवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए नगर परिषद चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ने की घोषणा की. हरियाणा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके सिंह ने पटौदी स्थित अपने आवास पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इस्तीफे की घोषणा के दौरान कांग्रेस पार्टी पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया.
चंडीगढ़: हरियाणा के पटौदी क्षेत्र के पूर्व विधायक रामबीर सिंह ने कांग्रेस पार्टी से अपना नाता तोड़ते हुए, पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है. उन्होंने कांग्रेस पार्टी से अपनी असहमति जताते हुए इसे छोड़ने का फैसला लिया. उनके इस कदम ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है. रामबीर सिंह के इस कदम को राजनीतिक हलकों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, और उनके फैसले के कारणों पर बहस जारी है.
रामबीर सिंह का बयान: रामबीर सिंह ने कांग्रेस छोड़ने की घोषणा करते हुए कहा, "मैंने पार्टी के भीतर होने वाली नीतिगत असहमति और राज्य में पार्टी के कमजोर होते आधार को देखते हुए यह कदम उठाया है. कांग्रेस अब पहले जैसी पार्टी नहीं रही, और इससे जुड़े रहने का अब कोई मतलब नहीं बनता." उन्होंने आगे कहा कि उनके लिए पार्टी से ज्यादा जनता की सेवा महत्वपूर्ण है, और वह अब आगे किसी नए मंच से लोगों की सेवा करने की योजना बना रहे हैं.
कांग्रेस पार्टी के लिए झटका:
रामबीर सिंह के कांग्रेस छोड़ने के फैसले को पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. पटौदी क्षेत्र में उनकी प्रभावशाली उपस्थिति और राजनीतिक पकड़ के चलते कांग्रेस को इस नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, रामबीर सिंह की अनुपस्थिति से कांग्रेस को इस क्षेत्र में चुनावी नुकसान हो सकता है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए.
क्या होगी आगे की राजनीति?
रामबीर सिंह ने यह भी संकेत दिया कि वह अब किसी अन्य पार्टी में शामिल हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया कि वह किस पार्टी के साथ जुड़ेंगे. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि रामबीर सिंह का यह कदम राज्य में राजनीतिक समीकरणों को बदल सकता है. उनका नाम भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों के साथ भी जोड़ा जा रहा है, हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है.
रामबीर सिंह का कांग्रेस छोड़ना हरियाणा की राजनीति में एक नई दिशा की ओर इशारा करता है. यह कदम राज्य के राजनीतिक माहौल को और भी जटिल बना सकता है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में उनके इस फैसले से क्या परिणाम सामने आते हैं. उनके अगले कदम के बारे में अधिक जानकारी आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.