चुनाव से ठीक 4 दिन पहले बाबा राम रहीम को 15वीं पैरोल, नतीजों में भाजपा या कांग्रेस... किसे मिला फायदा?

हरियाणा चुनाव के नतीजों में भाजपा को बंपर जीत मिली है. चुनाव से पहले हरियाणा के सुनारिया जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा के राम-रहीम को बार-बार पैरोल और फरलो दिए जाने के फैसलों पर सवाल उठाया गया था. विपक्ष ने हरियाणा सरकार के इस फैसले पर सवाल भी उठाया था. अब कहा जा रहा है कि हरियाणा चुनाव नतीजों में 'राम रहीम फैक्टर' का असर पड़ा है.

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India Daily Live

हरियाणा में सत्ता में काबिज भाजपा एक अक्टूबर को विपक्षी कांग्रेस और अन्य दलों के सीधे हमले का शिकार हो गई, जब जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा (DSS) चीफ गुरमीत राम रहीम को विधानसभा चुनाव से ठीक चार दिन पहले 20 दिन की पैरोल दी गई.

राम रहीम की 15वीं पैरोल भी चुनाव के साथ ही हुई थी, इसलिए भाजपा पर बलात्कार और हत्या के दोषी को पैरोल देने का आरोप लगाया गया ताकि उसका समर्थन हासिल किया जा सके. हालांकि, चुनाव परिणामों से पता चला कि इससे सिर्फ़ भाजपा को ही फ़ायदा नहीं हुआ, बल्कि कांग्रेस को भी फ़ायदा हुआ.

डेरा के प्रभाव वाले विधानसभा में किसने कितनी सीटें जीतीं?

डेरा अनुयायियों के गढ़ माने जाने वाले 28 विधानसभा क्षेत्रों में से 15 पर कांग्रेस, 10 पर भाजपा, दो पर इंडियन नेशनल लोकदल और एक पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की. कांग्रेस को 53.57 प्रतिशत, भाजपा को 35.71 प्रतिशत, आईएनएलडी को 7 प्रतिशत और निर्दलीय उम्मीदवार को 3.57 प्रतिशत वोट मिले. शायद यही एक कारण है कि हरियाणा कांग्रेस के ज़्यादातर नेता पैरोल के बारे में मुखर नहीं थे.

हरियाणा के छह जिलों: फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, करनाल और हिसार में फैले इन 28 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को भाजपा से अधिक सीटें मिलीं.

कांग्रेस को कहां-कहां जीत मिली?

कांग्रेस ने फतेहाबाद, रतिया, टोहाना (जहां डेरा अनुयायियों की संख्या सबसे अधिक है), कलायत, कैथल, शाहाबाद, थानेसर, पिहोवा, कालांवाली, सिरसा, ऐलनाबाद, आदमपुर, उकलाना और नारनौंद में जीत हासिल की.

भाजपा ने हांसी, बरवाला, हिसार, नलवा, असंध, घरौंदा, करनाल, इंद्री, नीलोखेड़ी, लाडवा और पुंडरी में जीत हासिल की. इनेलो ने डबवाली और रानिया में जीत हासिल की, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार सावित्री जिंदल ने हिसार में जीत हासिल की.

डेरा का भाजपा को समर्थन?

सूत्रों का कहना है कि 3 अक्टूबर को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख ने सिरसा में डेरा पदाधिकारियों को भाजपा को वोट देने का निर्देश दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि यह संदेश एक सत्संग के दौरान दिया गया था, जहां अनुयायियों को बूथ पर कम से कम पांच मतदाताओं को लाने का निर्देश दिया गया था.

ये अभी तक स्पष्ट नहीं है कि गुरमीत राम रहीम ने इस सत्संग की मेजबानी वर्चुअल तरीके से की थी या नहीं, क्योंकि भारत के चुनाव आयोग ने उन पर ऑनलाइन प्रचार या सत्संग आयोजित करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. डेरा सूत्रों का अनुमान है कि संप्रदाय के अनुयायियों की संख्या लगभग 1.25 करोड़ है, तथा इसकी 38 शाखाओं में से 21 शाखाएं हरियाणा में स्थित हैं.

डेरा सच्चा सौदा का राजनीतिक प्रभाव

हालांकि डेरा सच्चा सौदा एक धार्मिक संप्रदाय है, लेकिन इसका राजनीतिक प्रभाव काफी है. गुरमीत राम रहीम के नेतृत्व में ये एक राजनीतिक शाखा संचालित करता है. संप्रदाय ने पहले शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और कांग्रेस का समर्थन किया है. 

2007 के पंजाब विधानसभा चुनावों में डेरा ने कांग्रेस का समर्थन किया.

2014 में इसने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा का समर्थन किया था.

2015 में डेरा ने दिल्ली और बिहार चुनावों में भाजपा का खुलकर समर्थन किया था. अनुमान है कि बिहार में पार्टी के लिए 3,000 अनुयायियों ने प्रचार किया था.

डेरा का राजनीतिक प्रभाव इसके बड़े निम्न-जाति अनुयायियों के आधार से उपजा है, जिसमें बड़ी संख्या में दलित शामिल हैं, जैसे कि मजहबी सिख (धर्मांतरित सिख). राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हरियाणा में जहां उच्च जाति के वोट आमतौर पर कांग्रेस और भाजपा के बीच बंट जाते हैं, वहीं निचली जाति के डेरा अनुयायी अपने नेता के निर्देशानुसार वोट देते हैं.