Jnusu Election Results: 2024-25 के लिए हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ (JNUSU) चुनाव में वामपंथी गठबंधन ने तीन प्रमुख पदों पर कब्जा जमाया है, जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने दस साल बाद जॉइंट सेक्रेटरी का पद जीता है.
नीतीश कुमार (AISA) को जेएनयूएसयू का अध्यक्ष चुना गया, वहीं मनीषा (DSF) को उपाध्यक्ष का पद मिला. मंतेहा फातिमा (DSF) को जनरल सेक्रेटरी के पद पर जीत मिली. इसके अलावा, ABVP ने एक महत्वपूर्ण वापसी की और 10 साल बाद जॉइंट सेक्रेटरी का पद जीता. वैभव मीना ने इस पद पर जीत हासिल की, जिससे जेएनयू में पारंपरिक वामपंथी गठबंधन को चुनौती मिल रही है.
ये चुनाव 25 अप्रैल को हुए, जो कुछ समय के लिए कैंपस हिंसा के कारण स्थगित हो गए थे. चुनाव में 70 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें लगभग 5,500 छात्रों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया. यह चुनाव AISA-DSF, ABVP और NSUI-फ्रेटर्निटी गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला था.
नव निर्वाचित अध्यक्ष नीतीश कुमार (AISA) ने छात्रों से वादा किया, 'हम छात्रों और उनके कल्याण के लिए काम करेंगे. हमारा मोटिव यह सुनिश्चित करना है कि हर छात्र की आवाज सुनी जाए और उसका सम्मान किया जाए.'
A historic win for ABVP at Jawaharlal Nehru University!
— ABVP JNU (@abvpjnu) April 27, 2025
The ABVP’s Joint Secretary candidate, Vaibhav Meena has emerged victorious in the JNUSU Elections 2024-25, marking a significant achievement. This victory reflects the trust and confidence of the student community in the… pic.twitter.com/JPBkoZkusK
उपाध्यक्ष मनीषा (DSF) ने जीत का श्रेय विश्वविद्यालय को दिया और कहा, 'इस जीत का श्रेय विश्वविद्यालय को जाता है... जेएनयू लाल था और लाल ही रहेगा... हम हमेशा छात्रों के लिए काम करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे.' जनरल सेक्रेटरी मंतेहा फातिमा (DSF) ने कहा, 'हम छात्रों के अधिकारों के लिए हमेशा संघर्ष करते रहेंगे, जैसा हमने हमेशा किया है.'
जॉइंट सेक्रेटरी चुने गए वैभव मीना (ABVP) ने अपनी जीत को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, 'हमने एक दशक बाद यह जीत हासिल की है और ABVP अगले चुनाव में सभी चार सीटें जीतने का लक्ष्य रखेगी. यह जीत आगे की सफलता की ओर कदम बढ़ाने का मौका है.'
जेएनयूएसयू चुनाव परिणामों ने एक बार फिर से विश्वविद्यालय के राजनीतिक माहौल को बदल दिया है. जहां वामपंथी गठबंधन की मजबूत पकड़ बनी हुई है, वहीं ABVP की वापसी ने नया राजनीतिक समीकरण खड़ा किया है.