छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बुधवार (9 अप्रैल) को रायपुर में बताया कि छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार कभी भी हो सकता है. उनके इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. सीएम साय का ये बयान उन अटकलों को और हवा दे रहा है, जिनके अनुसार मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द ही होने वाला है. ऐसे में कुछ राजनीतिक एक्सपर्ट का मानना है कि 10 अप्रैल तक मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कांग्रेस ने चुटकी लेते हुए इसे "बीरबल की खिचड़ी" करार दिया है. इस दौरान कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने इस बयान के बाद भाजपा पर हमला बोला. वहीं, बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि भगत का राजनीतिक वजूद अब खत्म हो चुका है. भाजपा का कहना है कि ऐसे बयानों से कोई फर्क नहीं पड़ता और पार्टी अपनी रणनीति के अनुसार काम कर रही है.
BJP की महत्वपूर्ण बैठकों में मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा
इसी बीच, बीजेपी ने 9 अप्रैल को रायपुर स्थित कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में कई महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित करने की योजना बनाई है. इस दौरान बीजेपी के प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन और राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश, सुबह से ही पार्टी के कई पदाधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक में निगम-मंडल, आयोगों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के अलावा नगरीय निकायों के महापौर और सभापति भी मौजूद रहें. बैठक का मुख्य उद्देश्य संगठन और सरकार के बीच समन्वय को मजबूत करना और संभावित मंत्रियों के नामों पर अंतिम चर्चा करना है.
मंत्रिमंडल में अमर अग्रवाल और गजेंद्र यादव का नाम लगभग तय
सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ की साय सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल और दुर्ग से विधायक गजेंद्र यादव का नाम लगभग तय माना जा रहा है. क्योंकि, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हालिया दौरे के बाद इन नामों पर मुहर लगी है. दरअसल, अमर अग्रवाल पूर्व में वित्त और नगरीय प्रशासन मंत्री रह चुके हैं, जबकि गजेंद्र यादव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े वरिष्ठ नेता बिसराराम यादव के बेटे हैं. ऐसे में बीजेपी की रणनीति यादव समाज को साधने की है, जिससे आगामी चुनावों में इस समुदाय का समर्थन मिल सके.