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India Daily

New Surrender Policy For Naxalites: सरेंडर करने पर सरकार देगी नौकरी शिक्षा और आर्थिक सहायता

‘नक्सलवादी आत्मसमर्पण पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति 2025’ न केवल आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को नई जिंदगी शुरू करने का अवसर देगी, बल्कि उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा और सुरक्षित भविष्य की गारंटी भी देगी. यह नीति शांति और विकास के मार्ग पर छत्तीसगढ़ को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम है.

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Edited By: Anvi Shukla
new surrender policy for naxalites
Courtesy: social media

New Surrender Policy For Naxalites: नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थायी शांति स्थापित करने और उग्रवादियों को मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘नक्सलवादी आत्मसमर्पण पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति 2025’ लागू कर दी है. यह नीति उन नक्सलियों के लिए एक सुनहरा अवसर बनकर आई है जो हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं.

यदि कोई सरेंडर किया हुआ नक्सली पुलिस को विशेष सहयोग देता है और इस कारण जान-माल को खतरा उत्पन्न होता है, तो उसे पुलिस विभाग में कांस्टेबल या समकक्ष पद पर नियुक्त किया जा सकता है. अन्य विभागों में नियुक्ति के लिए जिला स्तरीय समिति की अनुशंसा आवश्यक होगी.

 इनामी नक्सलियों को विशेष लाभ

- जिन नक्सलियों पर ₹5 लाख या उससे अधिक का इनाम घोषित है, उन्हें पात्रता के आधार पर सरकारी नौकरी या ₹10 लाख की सावधि जमा राशि दी जाएगी.

- यह राशि तीन वर्षों के अच्छे आचरण के बाद ही हस्तांतरित की जाएगी.

 शिक्षा के व्यापक प्रावधान

- नक्सलियों के बच्चों को 18 वर्ष तक निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी.

- छात्रावास की सुविधा आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा दी जाएगी.

- निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई की इच्छा रखने वाले बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश और आर्थिक सहायता मिलेगी.

- यदि कोई नक्सली स्वयं शिक्षा ग्रहण करना चाहता है, तो सरकारी योजनाओं के तहत सहायता उपलब्ध कराई जाएगी.

मुख्य उद्देश्य

सरकार की यह नीति सिर्फ आत्मसमर्पण को प्रोत्साहित करने का साधन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा पुनर्वास मॉडल है जो नक्सलियों और उनके परिवारों को सम्मानजनक जीवन, स्थिर भविष्य और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में काम करेगा.

सरकार का संदेश

राज्य सरकार का मानना है कि हिंसा और हथियारों से स्थायी समाधान संभव नहीं है. इस नीति के माध्यम से सरकार यह संदेश दे रही है कि जो भी व्यक्ति हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास और शिक्षा के रास्ते पर चलना चाहता है, उसके लिए सरकार हरसंभव सहायता करेगी.