menu-icon
India Daily
share--v1

नीतीश कुमार चाहते हैं विशेष राज्य का दर्जा! कहां से आया स्पेशल स्टेटस का कॉन्सेप्ट और क्या हैं इसके फायदे?

What Special State Status: शनिवार को दिल्ली में हुई JDU की बैठक में पार्टी ने अपना कार्यकारी अध्यक्ष चुना. इसके साथ ही इसमें बिहार को विशेष राज्य का दर्जा यानी स्पेशल स्टेटस की मांग को लेकर प्रस्ताव पास किया गया. आपने स्पेशल स्टेटस का नाम तो कई बार सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है ये किसके दिमाग की उपज है और इससे क्या इतने लाभ है जो राजनेता लगातार अपने राज्यों के लिए इसकी मांग करते रहते हैं.

auth-image
Shyam Datt Chaturvedi
Why Nitish Kumar Wants Special State Status For Bihar
Courtesy: Social Media

केंद्र में NDA की सरकार बनने के बाद JDU ने शनिवार को दिल्ली में पार्टी कार्यकारिणी की बैठक की. इसमें नीतीश कुमार ने संजय झा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया. इसका ऐलान भी उन्होंने खुद ही किया. इसके साथ ही पार्टी ने बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज देने की अपनी पुरानी मांग को दोहराते हुए प्रस्ताव भी पास किया. आखिर ये कॉन्सेप्ट क्या है और कहां से आया है? इससे राज्यों के क्या लाभ होते हैं जो इसके लिए नेता लगातार मांग करते रहते हैं. आइये जानें सभी सवालों के जवाब.

नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले JDU ने बिहार के लिए विशेष दर्जा या विशेष पैकेज की अपनी पुरानी मांग को दोहराया है. इसका प्रस्ताव राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में पारित हुआ है. इसके बाद से इस कॉन्सेप्ट को लेकर चर्चा हो रही है. आइये जानें इन सवालों के उत्तर.

क्या स्पेशल स्टेटस?

स्पेशल स्टेटस या विशेष राज्य के दर्जे में इसमें भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना वाले प्रदेश को अतिरिक्त वित्तीय सहायता और अन्य लाभ दिए जाते हैं. इसे सरकारे प्रदेशों में विकास के लिए खर्च करती है.

कहां से आया कॉसेप्ट?

स्पेशल स्टेटस या विशेष राज्य का दर्जा 1969 में पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों पर आया था. यह कॉसेप्ट तत्कालीन योजना आयोग (नीति आयोग) के उपाध्यक्ष समाजशास्त्री धनंजय रामचंद्र गाडगिल की देन हैं. उन्होंने इस योजना आयोग को तीसरी पंचवर्षीय योजना में तैयार किया था.

दर्जे की शर्तें

  • पहाड़ी और कठिन क्षेत्र
  • कम जनसंख्या घनत्व
  • महत्वपूर्ण आदिवासी जनसंख्या
  • सीमाओं पर रणनीतिक महत्व
  • आर्थिक रूप से पिछड़ापन
  • वित्तीय स्थिति की प्रकृति

किसके पास है ये दर्जा

14वें वित्त आयोग ने उत्तर पूर्वी और तीन पहाड़ी राज्यों के अलावा सभी प्रदेशों का विशेष श्रेणी का दर्जा समाप्त कर दिया है. हालांकि, आयोग ने इन राज्यों के संसाधन अंतर को पाटने के लिए कर विभाजन को 32% से बढ़ाकर 42% करने का प्रस्ताव दिया था.

इससे पहले ग्यारह राज्यों के पास ये स्टेटस था. इसमें असम, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना का नाम शामिल है. तेलंगाना को आंध्र प्रदेश विभाजन के बाद ये दर्जा मिला था.

NDA सहयोगी करते रहे हैं मांग

NDA की सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) अपने-अपने राज्यों के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगती रही हैं. दोनों पार्टियों का ये काफी पुराना मुद्दा रहा है. कई बार इसी विषय को लेकर BJP के साथ इन दलों की अनबन सामने आती रही है.