Ratan Tata: भारतीय उद्योग जगत के जाने माने कारोबारी रतन टाटा का बुधवार को निधन हो गया. जिसके बाद देशभर में शोक की लहर है. रतन टाटा के लिए ना केवल उद्योग जगत में बल्कि फिल्म इंडस्ट्री, खेल जगत और राजनीतिक दुनिया में भी मातम पसरा है. रतन टाटा को महान बिजनेसमैन के साथ ही एक बहुत ही खुबसुरत इंसान बताया जाता है. वो जहां भी गए वहां उन्होंने अपनी एक नई कहानी लिख दी. रतन टाटा की बिहार से जुड़ी एक खास कहानी है.
रतन टाटा ही नही बल्कि टाटा ग्रुप का बिहार से काफी पुराना और गहरा रिश्ता रहा है. टाटा स्टील के संस्थापक जमशेदजी नूसर्वानजी टाटा ने इसकी स्थापना बिहार के जमशेदपुर में की थी. आज जमशेदपुर को स्टील सीटी के नाम से भी जाना जाता है. उस समय बिहार बंगाल प्रेसिडेंसी का हिस्सा हुआ करता था. रतन टाटा 3 बार पटना आ चुके हैं.
पटना एयरपोर्ट की कहानी
रतन टाटा अपन जब बिहार की राजधानी पटना पहुंचे तो उनके स्वागत के लिए कई लोग एयरपोर्ट पर पहुंचे थे. इस दौरान उनके साथ जेजे ईरानी भी पहुंचे थे. एयरपोर्ट पर पहुंचते ही जेजे ईरानी ने स्वागत करने पहुंचे लोगों से कहा कि रतन टाटा नहीं आ पाए. जिसे सुनते ही वहां के लोग काफी उदास हो गए. जिसके बाद रतन टाटा हवाई जहाज से निकले. उन्हें देखते ही लोगों के चेहरे पर खुशी आ गई. राष्ट्रीय निवेश आयोग के अध्यक्ष के रुप में रतन टाटा 2006 में पटना आए थे. इस समय उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से खास मुलाकात की थी. चार घंटे तक चले इस मीटिंग उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से कहा था कि आयोग बिहार की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है.
बिहार से खास कनेक्शन
टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेद जी टाटा ने पाटलिपुत्र को खोजने के लिए हर साल 20000 रुपये की सहयोग राशि दी. जिसकी मदद से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पाटलिपुत्र की खोज करने में काफी मदद मिली थी. वहीं रतन टाटान ने पुरातत्व सर्वेक्षण के लिए 75000 रुपए का योगदान दिया था. जिसकी मदद से पटना के कुम्हरार में खुदाई की गई थी. इस खुदाई में महान सम्राट अशोक के सभा भवन के खंभे पाए गए थे.